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________________ 3. शरद् आदि शब्दों में अन्त्य व्यंजन का अ होता है, प्रावृष् और आयुष् शब्द के अन्त्य ष् का स और धनुष् शब्द के ष् का ह विकल्प से होता है । शरद् और प्रावृष् शब्द के रूप पुंलिंग में ही होते हैं । , सरओ (शरद) = शरदऋतु मिसओ (भिषज् ) = वैद्य उदा. पाउसो (प्रावृष्) = वर्षाऋतु आउसो सं (आयुष्) = आयु आऊ-उं (धनुष) = धनुष्य, चाप, कार्मुक, धणू 4. अन् अन्तवाले पुंलिंग नामों में अन्त्य अन् का विकल्प से आण होता है, जब आण नहीं होता है तब न् का लोप होता है । उदा. अद्ध-अद्वाण (अध्वन्) मार्ग, रास्ता अप्प-अप्पाण (आत्मन्) आत्मा उच्छ-उच्छाण (उक्षन) वृषभ, बैल गाव-गावाण (ग्रावन) पत्थर जुव- जुवाण (युवन) युवान तक्ख तक्खाण (तक्षन) सुथार तच्छ-तच्छाण पुस- पुसाण (पुषन) सूर्य बम्ह-बम्हाण (ब्रह्मन्) ब्रम्हा महव-महवाण (मघवन्) इन्द्र मुद्ध मुद्धाण (मूर्धन) मस्तक राय-रायाण (राजन) राजा स-साण (श्वन) कुत्ता सुकम्म सुकम्माण पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग + नपुंसकलिंग पुलिंग + नपुंसकलिंग (सुकर्मन) अच्छे कर्मवाला पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग पुंलिंग विशेषण 5. उपर्युक्त शब्दों के रूप अ कारान्त पुंलिंग के समान बनते हैं, लेकिन मूल शब्द अद्ध- अप्पाण आदि के रूपों में कुछ विशेषता है, वह नीचे बताते हैंप्रथमा एकवचन में आ प्रत्यय, प्रथमा द्वितीया बहुवचन, चतुर्थी, पंचमी १५४
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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