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________________ __पुंलिंग + नपुंसकलिंग पाण (बहुवचन) (प्राण) इन्द्रियादि दस प्राण विशेषण अलंकिअ (अलङ्कृत) शोभित परिचत्त हआ उम्मत्त (उन्मत्त) मत्त, परिणीअ (परिणीत) विवाहित चरम । (चरम) अन्तिम मुक्खत्थि (मोक्षार्थिन) मोक्ष का अर्थी चरिम लग्ग (लग्न) लगा हुआ, सम्बन्धित धणवंत (धनवत्) धनवान वयणिज्ज (वचनीय) नाणि (ज्ञानिन्) ज्ञानवान वियक्खण (विचक्षण) होशियार, कुशल परिच्चत्त (परित्यक्त) त्याग किया | समत्थ (समर्थ) समर्थ अव्यय नूण, नूणं (नूनम्) निश्चय, विचार, कारण सामासिक शब्द अजसघोसणा (अयशोघोषणा) अपयश | जीवदयामय (जीवदयामय) की घोषणा, जीवदयारूप कालसप्प (कालसर्प) कालरूपी सर्प जुवइपिया (युवतिपिता) स्त्री के पिता निययकुलं (निजककुलं) अपने कुल को धातु अभि + नन्द् (अभि + नन्द्) प्रशंसा | उव्वह् (उद् + वह्) वहन करना, करना | पालन करना आ + लोय (आ + लोक्) देखना, | खंड् (खण्ड) तोड़ना, टुकड़े करना तलाश करना| पेच्छ (प्र + ईक्ष) देखना उवज्ज (उत् + पद्) उत्पन्न होना | वज्ज (वृज-वज) त्याग करना हिन्दी में अनुवाद करें 1. पाणाणमच्चए वि जीवेहिं अकरणिज्जं न कायव्वं , करणीअं च कज्ज न मोत्तव्वं । 2. धम्म कुणमाणस्स सहला जंति राईओ । 3. जेण इमा पुहवी हिडिंऊण दिट्ठा, सो नरो नूणं वत्थूणं परिक्खणे वियक्खणो होइ । = -१५० -
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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