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________________ नपुंसक सर्वपुरुष 7. हसन्ता, हसमाणा हो होन्ती हुन्ती होन्ता हुन्ता, होमाणी, होमाणा हस् - हसन्तं, हसमाणं होन्तं, हुन्तं, होमाणं 8. - पुंलिंग होअन्तो, होअन्ता होअमाणो होअमाणा " " हसन्ताओ, होन्तीओ, हुन्तीओ, होन्ताओ, हुन्ताओ होमाणीओ, हो + अ = होअ अंग के रूप स्त्रीलिंग हो अन्ती, होअन्ता होअमाणी, होअमाणा ज्ज - ज्जा प्रत्ययसहित रूप होमाणाओ हसन्ताइं, हसमाणाइं, होन्ताइं, हुन्ताइं, होमाणाइं हसेज्ज, हसेज्जा होज्ज, होज्जा, होएज्ज, होएज्जा हसमाणाओ ११८ नपुंसकलिंग होअन्तं, होअन्ताई, होअमाणं, होअमाणाइं ऋकारान्त नाम प्राकृत में ऋ स्वर का प्रयोग नहीं होता है । इस कारण ऋकारान्त शब्दों में थोड़े परिवर्तन के साथ निम्नानुसार रूप बनते हैं — (1) संस्कृत संबंधवाचक ऋकारान्त शब्दों के अन्त्य ऋ का अर होता है | उदा. पिअर (पितृ), जामाअर (जामातृ) (2) विशेषणवाचक ऋकारान्त शब्दों के अन्त्य ऋ का आर होता है । उदा. कत्तार (कर्तृ), दायार (दातृ) (3) तत्पश्चात् उपर्युक्त शब्द अकारान्त बनने से उनके पुंलिंग और नपुंसकलिंग में रूप अकारान्त पुंलिंग और नपुंसकलिंग के समान बनते हैं । (३/४५-४७) उदा. पिआ, पिअरो (पितृ) प्रथमा एकवचन कत्तारं (कर्तृ) प्रथमा-द्वितीया एकवचन प्रथमा, द्वितीया एकवचन को छोड़कर सभी विभक्तियों में ऋकारान्त शब्द के अन्त्य ऋ का उ भी होता है और उनके रूप उकारान्त पुंलिंग
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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