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________________ 15. दिवहो निसं, निसा य दिणं अणुसरेइ । 16. जणा रिद्धिए गविट्ठा पाएण हवंति । 17. जोव्वणं असारं, लच्छी वि असारा, संसारो असारो, तओ धम्मम्मि मइं दढं कुज्जा । 18. थी एगाए बाहाए भारं नेहीअ । 19. कामे सत्ताओ इत्थीओ कुलं सीलं च न रक्खन्ति । 20. उअ थीणं सरूवं, संसारा य उव्विवेसु । 21. जो संघस्स आणं अइक्कमेइ, सो सिक्खं अरिहे । 22. जउँणाए उदगं किण्हं, गंगाअ य दगं सुक्कमत्थि । 23. हेमचंदो सरस्सइं देविं आराहीअ । 24. सासू वहूणं देवालए गमणाय कहेइ । 25. जो हिरिं, नीइं, धीइं च धरेइ, सो सिरिं लहेइ । 26. अहिणो दाढाए विसं झरेइ ।। 27. तिण्हा आगासेण समा विसाला | 28. तरुस्स छाहीए थीओ गाणं काहीअ । 29. विक्कमो निवो पिच्छीए सुट्ठ पालगो आसि । 30. कुमारो सव्वासु कलासु पहुप्पइ । 31. पहुणो महावीरस्स अतुल्लाए सेवाए गोयमो गणहरो संसारं तरीअ । 32. धन्नाओ ताओ बालिआऊ, जाहिं सुमिणे वि न पत्थिओ अन्नो पुरिसो । प्राकृत में अनुवाद करें1. बड़ों की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए । 2. चोर ने ब्राह्मण की लक्ष्मी छीन ली। 3. पुत्र की बहू सास के सभी कार्य विनयपूर्वक करती है । 4. जब व्यक्ति की बुद्धि नष्ट होती है तब उसके साथ बुद्धि और धीरता भी नष्ट होती है। 5. धर्मीजन धन की वृद्धि में धर्म का त्याग नहीं करता है । 6. सरस्वती और लक्ष्मी (सिरि) के विवाद में कौन जीते ? १ १०२
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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