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________________ आओ संस्कृत सीखें 59 या = जाना यु = जोडना रा = प्रदान करना रु = आवाज करना ला = लेना वा = बोना श्रा = पकाना सु = जन्म देना स्ना = स्नान करना (परस्मैपदी) | स्नु = झरना _ (परस्मैपदी) (परस्मैपदी) | अधि+इ=अभ्यास करना (आत्मनेपदी) (परस्मैपदी) | शी = सोना (आत्मनेपदी) (परस्मैपदी) | सू = जन्म देना (आत्मनेपदी) (परस्मैपदी) | हनु = छिपाना (आत्मनेपदी) (परस्मैपदी) | ब्रू = बोलना (उभयपदी) (परस्मैपदी) | स्तु = स्तुति करना (उभयपदी) (परस्मैपदी) | अति+शी = उल्लंघन करना (परस्मैपदी) शब्दार्थ ऋषभ स्वामिन् ऋषभदेव (पुंलिंग) | बीज = बीज (नपुं. लिंग) जात = पुत्र (पुंलिंग) | वार्द्धक = वृद्धावस्था (नपुं. लिंग) नीड = पक्षी का घोसला (पुंलिंग) | व्यलीक = झूठ (नपुं. लिंग) मुशलिन् = बलराम (पुंलिंग) | | शैशव = शिशुपना (नपुं. लिंग) याम = प्रहर (पुंलिंग) | अखिल = सब (विशेषण) सरीसृप = सर्प (पुंलिंग) आदिम = पहला (विशेषण) तनु = शरीर (स्त्री लिंग) | तन्द्रिल = आलसी (विशेषण) तनू = शरीर (स्त्री लिंग) | दुर्भर = दुःखसे भरा जाय ऐसा (विशे.) परतप्ति = निंदा (स्त्री लिंग) | निष्णात = होशियार (विशेषण) सुतनू = स्त्री (स्त्री लिंग) निद्राण = सोया हुआ (विशेषण) अनृत = असत्य (नपुं. लिंग) निष्परिग्रह = परिग्रह रहित (विशेषण) आनन = मुख (नपुं. लिंग) | सनातन = शाश्वत (विशेषण) निर्वाण = मोक्ष (नपुं. लिंग) | सहसा = अचानक (अव्यय) उपेत (उप+ह+त) = युक्त । रजनीमुख = रात के पहले संस्कृत में अनुवाद करो : 1. अपना धन देना (दातुं) दुष्कर है । तप करना (कर्तुं) पसंद नहीं है (प्रति + भा) ऐसे ही सुख भोगने का मन है, परंतु भोगा नहीं जाता है । (भुज्) 2. अनीति करने से पुरुष को आपत्ति आती है। (आ+या)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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