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________________ आओ संस्कृत सीखें 2103 किजल्क = पराग खर = गधा घनसार = कपूर दशन = दाँत दन्दशूक = सर्प दस्यु = चोर नियम = व्रत निर्झर = झरना प्रकर = समूह मधुव्रत = भ्रमर रजक = धोबी रूप्यक = रुपया स्मर = काम वल्लि = बेल शब्दार्थ (पुलिंग)| अगर = अगरचंदन (पुंलिंग) (पुलिंग)| अंभोज = कमल (नपु.) (पुलिंग)| आवरण = ढक्कन (नपु.) (पुंलिंग)| बिल = बिल (नपुं.) (पुंलिंग)| जाया = पत्नी (स्त्री लिंग) (पुंलिंग)| तमिस्रा = रात्रि (स्त्री लिंग) (पुंलिंग)| मिथस् = परस्पर (अव्यय) (पुंलिंग)| मुहुस् = बारबार (अव्यय) (पुंलिंग) | शनैस् = धीरे (अव्यय) (पुंलिंग)| सधस् = शीघ्र (अव्यय) (पुंलिंग)| भीम = भयंकर (विशेषण) (पुंलिंग)| विविध = अनेक प्रकार का (विशेषण) (पुंलिंग)| स्वीय = अपना (विशेषण) (स्त्री लिंग)| सान्द्र = गाढ़ (विशेषण) संस्कृत में अनुवाद करो : 1. भयंकर भी सर्प को चींटियाँ डंक देती है । (दंश्) 2. लताएं पत्तों द्वारा फलों को छिपाती है । (गुह्) 3. कुमारपाल की कीर्ति की साधु भी प्रशंसा करते हैं । (पण्) 4. सिद्धराज ने अपने शत्रुओं को दुःखी किया । (धूम्) 5. हम जिन की स्तुति करते हैं । (पन्) 6. वणिक् लोग करोड़ों रुपयों द्वारा हमेशा व्यापार करते हैं । (पण्) 7. साँप बिल में से निकला और डंक मारा । (दंश्) 8. तुम अकार्य हेतु क्यों तैयार होते हो? (सस्ज्) 9. उसका चित्त पढ़ने में लगा । (सङ्ग्) 10. रंगरेज रानी के वस्त्र रंगता है । (रञ्ज)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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