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आओ संस्कृत सीखें
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आग्रह है, उसको तुम कहो - कितना विवेक है ! 6. जो दूसरों को सलाह देने में होशियार हैं, उनकी वास्तव में पुरुषों में गणना कैसी?
जो खुद को सलाह देने में होशियार हैं उन पुरुषों की पुरुषों में गणना होती है। जबरदस्ती उसे खाने के लिए बैठाया, लेकिन उसने कुछ भी खाया नही, मुझे
कुछ भी अच्छा नही लगता है, इस प्रकार बार बार यही बोलता था । 8. जो मनुष्य जिस प्रकार से बोध पाता हो, उसको उस प्रकार से बोध देना चाहिए। 9. जितने समय में मैं उतरूँ (उतने समय) नजदीक में ही रथ को खड़ा रख । 10. शकुन्तला के लिए वनस्पति में से फूल लाओ, इस प्रकार आपके द्वारा हमें आज्ञा
की हुई है। 11. अपने सुख की अभिलाषा रहित तू लोगों के लिए दुःख को झेल रहा है अथवा
प्रतिदिन तेरी प्रवृत्ति इसी प्रकार की है, वास्तव में झाड, ऊपर से तीव्र (तेज) गर्मी
सहन करता है (और) छाया द्वारा आश्रितों के परिताप (गर्मी) को मिटाता है। 12. पापी मनुष्य की कथा करने से वास्तव में पाप बढ़ता है, यश को दूषित करती
है, लघुता को धारण करते है, मन के परिणामों को बिगाड़ते हैं और धर्म बुद्धि
का नाश करते है। 13. काले सांप के बच्चे द्वारा चंदन दूषित होता हैं। 14. बहुत कहने से क्या? और भी तेरे मन में हो वह सब बता, जिससे मैं उसे जल्दी
से सम्पन्न कर लूँ। 15. स्वयंवर में आई हुई कन्याओ के साथ माता पिता के द्वारा उसकी शादी हुई। 16. राक्षस - उठ उठ, अभी काल विलंब करना छोड़ दे। विष्णुदास को निवेदन
करो कि यह राक्षस चंदनदास को मौत से छुड़ाता है । 17. सभी कारण पूर्व जन्म में किये हुए कर्मो के उदय की अपेक्षा बिना फल नही देते
18. सुमित्रा ने भी, वर्षा ऋतु के बादलों जैसे वर्ण वाले सम्पूर्ण लक्षणवाले (और)
जगत के मित्र (समान) पुत्र रत्न को जन्म दिया । 19. राजा ने पकड़े हुए मंगल पाठक और शत्रुओं को भी छुड़ा दिया, यानी उत्तम
पुरुषों के जन्म से कौन सुख से नहीं जीता है । 20. उसने सैन्य के समूह द्वारा पृथ्वी को दुःखी किया, शेषनाग को भार की पीड़ा
बताई, शत्रुओं को यमपुरी बताई और पिशाचों को शत्रुओं का मांस खिलाया ।