SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 33243 हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद 1. साधिताशेषभरतं गगनस्थितं भरतचक्रवर्तिनश्चक्रमयोध्याभिमुखं चचाल। 2. आद्यप्रयाणदिनात्षष्टौ वर्षसहस्रेषु चक्रमार्गानुगो भरतोऽपि चचाल । 3. खेचरानपिसैन्योद्धृतरजः पूरपरिस्पर्शेन मलीमसीकुर्वन्, प्रतिगोकुलं विकसदृग्गोपसुद्दशां हैयङ्गवीनार्धं गृह्णन् । प्रतिवनं कुम्भिकुम्भस्थलोद्भूतमौक्तिकप्रभृतीनि प्राभृतान्याददानः । प्रतिग्रामं सोत्कण्ठग्रामवृद्धानात्तानात्तैरुपानयनैरनुगृह्णन् । वृक्षाधिरूढान्नु प्लवंगान्ग्रामीणदारकान्सहर्ष पश्यन्, मलयानिल इव शनैः शनै गच्छन् दुर्विनीतारिशासन ऊर्वीशो भरतोऽयोध्यां प्राप। 4. अहम्मदाबादादग्निरथेनानन्दमागच्छतोऽर्धरात्रः संजातः । 5. आङ्लदेशे दशाहं स्थित्वा वयं जलमार्गेण हिन्दुस्तानं न्यवर्तामहि । 6. त्रिलोकीतिलकं श्रीमहावीरमहं नमामि । 7. विक्रमसंवत्पूर्वे चतुःशत्यां सप्ततौ च वर्षेषु (गतेषु) आश्विनामावास्याया अपररात्रे भगवान्श्रीमहावीरो निर्वाणं प्राप । पाठ 34 संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद 1. हर रोज देव, ब्राह्मण, श्रमण और गुरु की सेवा में तत्पर ऐसे उसको, अपने हाथों से उपार्जित और पूर्व पुरुषो से उपार्जित बहुत सा धन अर्थिजन मित्र, भाई और विद्वानों द्वारा भोगने के बाद बचे हुए धन को भोगनेवाले उसको अंतिम उम्र में वसुदत्ता नाम की स्त्री को सभी अपत्यो में सबसे पहला तारक नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ । 2. वधू और वर को गाने वाली सभी वेश्याएं खड़ी रही । 3. गगन (आकाश) गगन समान है, सागर (समुद्र) सागर समान है, राम और रावण का युद्ध राम और रावण जैसा है । 4. पर पदार्थ की इच्छा (स्पृहा) महा दुःख है और स्पृहा (इच्छा) रहितपना (वह) महा सुख है, सुख और दुःख का यह लक्षण संक्षेप से बताया गया है । 5. दो बैलवाला भी मैं द्वंद्व (स्त्री-पुत्र) सहित हूँ, मेरे घर में हमेशा व्यय का अभाव है। हे पुरुष ! वह कर्म बताओ, जिससे मैं बहुत धान्यवाला बनूँ ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy