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________________ आओ संस्कृत सीखें 1243 उदा. अर्धं पिप्पल्या: अर्धपिप्पली । पक्षे षष्ठी तत्पुरुष - पिप्पल्यर्धम् । इसी प्रकार अर्धग्रामः - ग्रामार्धम् । अर्धापूपः - अपूपार्धम् । असम अंश में अर्ध पुंलिंग है - ग्रामार्धः, नगराधः । (ष. तत्पुरुष) मेय तत्पुरुष 12. एकवचन में रहा कालवाची नाम और द्विगु समास में रहा कालवाची नाम, मेयवाची नाम के साथ समास होता है । उदा. मासो जातस्यः मास जातः । एवं संवत्सरजातः । (एक महीने से जन्म हुआ, एक बरस से जन्म हुआ) द्विगु विषय : एको मासो जातस्य एक मासजातः द्वे अहनी सुप्तस्य द्वयनसुप्तः (दो दिन से सोया हुआ) (द्वयोः अनो: समाहारः द्वयहः (प्रथम समाहार द्विगु कर फिर समास करे तो - द्वयहः - सुप्तस्य - द्वयहसुप्तः । विभक्ति तत्पुरुष द्वितीया तत्पुरुष 1. द्वितीयांत कालवाची नाम, व्यापक (उसमें व्याप्त रहे) नाम के साथ समास पाता मुहूर्तं सुखं - मुहूर्तसुखम् (मुहूर्त पर्यंत सुख) 2. द्वितीयांत नाम श्रित आदि नाम के साथ समास होता है । उदा. धर्मं श्रितः .. धर्मश्रितः। संसारं अतीत: संसारातीतः। नरकं पतितः नरकपतितः । निर्वाणं गतः निर्वाणगतः । ओदनं बुभुक्षुः ओदनबुभुक्षुः । ., तृतीया तत्पुरुष 3. तृतीयांत नाम, उससे कृत गुणवाचक विशेषण नाम के साथ समास होता है ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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