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________________ आओ संस्कृत सीखें 1234 दिनं दिन प्रति --- - प्रतिदिनम् । शक्तेः अनतिक्रमण यथाशक्ति पठ। शीलस्य सादृश्यम् सशीलं अनयोः । 12. सादृश्य सिवाय उपर्युक्त अर्थ में यथा अव्यय, दूसरे नाम के साथ पूर्व पद की मुख्यता से नित्य अव्ययीभाव समास होता है। रूपस्य अनुरूपम् यथारूपम् चेष्टते । ये ये वृद्धाः तान् यथावृद्धम् अभ्यर्चय । सूत्रस्य अनतिवृत्या यथासूत्रम् अनुतिष्ठति । समासांत प्रत्यय 13. युद्ध अर्थ में हुए समास के अंत में इ (इच्) होता है । उदा. केशाकेशि । 14. प्रति, परस् और अनु पहले हो और अक्षि अंत में हो ऐसे अव्ययी भाव से अ होता है। उदा. अक्षिणी प्रति - प्रत्यक्षम् । अक्ष्णोः परः - परोक्षम् । अक्ष्णो: समीपम् - अन्वक्षम् । 15. अन् अंतवाले अव्ययीभाव से अ होता है । राज्ञः समीपम् - उपराजम् । आत्मनि - अध्यात्मम् । 16. अन् अंतवाले नाम नपुंसक लिंग में हो तो विकल्प से अ होता है । उदा. उपचर्मम् - उपचर्म । अहः अहः प्रति - प्रत्यहम् - प्रत्यहः । 17. कई अव्ययी भाव समास में नित्य या विकल्प से अ होता है । उदा. अक्ष्णोः समीपम् - समक्षम्, प्रतिशरदम् । अन्तर्गिरम्, अन्तर्गिरि । उपनदम् - उपनदि । उपककुभम् - उपककुभ् इत्यादि । 18. इ (इच्) प्रत्ययांत व्यंजनादि उत्तर पद पर पूर्व पद का स्वर दीर्घ होता है अथवा उसके स्थान पर आ होता है। केशाकेशि, मुष्टीमुष्टि, मुष्टा मुष्टि । अस्यसि ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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