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________________ आओ संस्कृत सीखें ८1983 अलावि वद् के रूप अवदिषि अवदिष्वहि अवदिष्महि अवदिष्ठाः अवदिषाथाम् अवदिध्वम् इढ्वम् अवादि अवदिषाताम् अवदिषत पाठ 19 नियम 18 से अलाविषाताम् अलाविषत अलविषातम् अलविषत अग्राहि अग्राहिषाताम् अग्राहिषत अग्रहीषाताम् अग्रहीषत 12. आज के भूतकाल में अद्यतनी विभक्ति होती है । व्याघ्रमैक्षिष्ट - उसने आज बाघ देखा। 13. किसी भी विशेष भूतकाल की विवक्षा न करे तो भूतकाल में अद्यतनी विभक्ति होती है। ऐक्षिष्ट मृगं सीता । ऐक्षिष्महि मृगम् । विवक्षा करे तो ईक्षाञ्चक्रे मृगं सीता ! ऐक्षामहि मृगम् । 14. दो भूतकाल इकट्ठे हों तो अद्यतनी होता है । उदा. अद्य ह्यो वा ऐक्षिष्महि मृगम् । आज अथवा कल हमने मृग को देखा । 15. निषेध करना हो तब मा (माङ्) के योग मे अद्यतनी होती है । ___मा वादीदधर्मम् - वे अधर्म न कहे । शब्दार्थ अश्वतर = खच्चर (पुंलिंग)। सख्य = मित्रता (नपुं. लिंग) कर्णधार = कप्तान (पुंलिंग) | ओजस् = तेज (नपुं. लिंग) बाहुबली = ऋषभदेव के पुत्र (पुलिंग) | ऊर्ध्व = ऊंचा (नपुं. लिंग) भरत = ऋषभदेव के पुत्र (पुंलिंग)| प्रेषित = भेजा हुआ (नपुं. लिंग) वजिन् = इन्द्र (पुंलिंग)| सार्धम् = साथ में (अव्यय) वेला = बार (पुंलिंग)।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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