SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 101 उदा. चि + य = चेयम् । ने + य = नेयम् । दा + य = देयम् । मा + य = मेयम् । तीसरे गण के धातु ऋ = जाना (परस्मैपदी) | दा = देना (उभयपदी) पृ = पालन करना (परस्मैपदी) | धा = धारण करना (उभयपदी) पृ = पालन करना (परस्मैपदी) | वि+धा = विधान करना (उभयपदी) मा = मापना (परस्मैपदी) | निज् = धोना (उभयपदी) नि+मा = निर्माण करना (आत्मनेपदी)| भृ = पोषण करना (उभयपदी) हा = जाना (आत्मनेपदी) विज् = अलग करना (उभयपदी) उद्+विज् = उद्वेग करना (उभयपदी) | विष = फैलाना (उभयपदी) शब्दार्थ अगस्ति=क्षत्रिय का नाम (पुंलिंग) । अन्तर = अंतर (नपुं. लिंग) अर्णव = समुद्र (पुंलिंग) | अभ्र = बादल (नपुं. लिंग) आश्लेष = आलिंगन (पुंलिंग) | छल = कपट (नपुं. लिंग) कुक्षि = पेट (पुंलिंग) | यान = वाहन द्रव = रस (पुंलिंग) | यूथ = टोला (नपुं. लिंग) धर्मात्मज = युधिष्ठिर (पुंलिंग) | वसन = वस्त्र (नपुं. लिंग) नहुष = एक राजा (पुंलिंग) | विवर = जगह लिंग) बठर = मूर्ख (पुंलिंग) | शोणित = खून (नपुं. लिंग) मख = यज्ञ (पुंलिंग)/स्व = धन (नपुं. लिंग) उर्वी = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | हेमन् = सुवर्ण (नपुं. लिंग) काश्यपी = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | धूसर = मैला (विशेषण) धरणी = पृथ्वी (स्त्री लिंग)| प्रणयिन् = प्रेमी (विशेषण) बदरी = बोर वृक्ष (स्त्री लिंग) प्राकृत = सामान्य (विशेषण) मुक्ता = मोती (स्त्री लिंग) प्राज्य = विस्तृत (विशेषण) शुभ्र = उज्ज्वल (विशेषण) | क्षाम = दुर्बल (विशेषण) लिंग)
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy