SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशक की कलम से..... जैन शासन के महान ज्योतिर्धर परम शासन प्रभावक सुविशाल गच्छ नायक दीक्षा के दानवीर स्व. पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के तेजस्वी शिष्यरत्न अध्यात्मयोगी, नि:स्पृह शिरोमणि, बीसवीं सदी के महान योगी, नवकार साधक पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर्य के चरम शिष्यरत्न, प्रवचन-प्रभावक, मरुधररत्न पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री रत्नसेन विजयजी म.सा. के आचार्य पद प्रदान महोत्सव के पावन प्रसंग पर पंडितवर्य श्री शिवलालभाई द्वारा आलेखित एवं पूज्य पंन्यासजी म.सा. द्वारा हिन्दी भाषा में अनुदित एवं संपादित 'आओ! संस्कृत सीखें' भाग-I एवं भाग-II का प्रकाशन करते हुए हमें अत्यंत ही हर्ष हो रहा है। पूज्य श्री हिन्दी भाषा के प्रभावक प्रवचनकार एवं हिन्दी साहित्यकार है। आज तक उनके द्वारा आलेखित 143 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है। प्रस्तुत पुस्तक का भी सरल-सुंदर हिन्दीकरण एवं संपादन पूज्यश्री ने अथक श्रम से किया है। स्व. पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा.के वर्तमान में विद्यमान ज्येष्ठ पूज्यों के निर्णयानुसार एवं नि:स्पृहमूर्ति पूज्य पंन्यासप्रवर श्री वज्रसेनविजयजी म.सा. के शुभाशीर्वाद से शासन प्रभावक, खिवांदीरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय कनकशेखरसूरीश्वरजी म.सा. के वरद हस्तों से पूज्य पंन्यासजी म. को पोष कृष्णा एकम् संवत् 2067 दिनांक 20 जनवरी 2011 गुरुवार के शुभ दिन गुरुपुष्यामृत सिद्धियोग की मंगल बेला में वर्तमान में जैन शासन सर्वोच्च पद अर्थात् आचार्यपद पर प्रतिष्ठित किया जा रहा हैं, यह हमारे लिए खूब गर्व और गौरव की बात है। मुंबई की धन्यधरा, कोंकण शत्रुजय - ‘थाणा' नगर में 58 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद में आचार्य पद प्रदान महोत्सव का सुअवसर हाथ में आया है।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy