SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 16 आओ संस्कृत सीखें 3. ते गणयन्ति । 4. युवां रचयथः । 5. अहं स्पृहयामि । 6. वयं लुट्यामः । 9. युवामिच्छथः । 10. आवां पृच्छावः । 11. त्वय्यच्छसि । पुरुष एक वचन | पाठ-9 वर्तमाना विभक्ति आत्मनेपद के प्रत्यय | द्विवचन । बहुवचन प्रथम पुरुष महे द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष अन्ते 1. आत्मनेपदी धातुओं को आत्मनेपद के प्रत्यय लगते हैं । वन्द्+अ+ए-वन्दे 2. उभय पदी धातुओं को परस्मैपदी और आत्मनेपदी के प्रत्यय लगते है । 3. अ वर्ण के बाद इ वर्ण, उ वर्ण, ऋ वर्ण और लु वर्ण हो तो क्रमशः वे दोनों मिलकर ए, ओ, अर् और अल् हो जाता है । उदा. वन्द् + अ + इते = वन्देते वन्दे वन्दसे वन्दते आत्मनेपदी धातु वन्द् = वंदन करना (गण-1) वृध् = बढना (गण-1) संस्कृत में अनुवाद करो 1. हम बढते हैं । 2. तुम दोनों पकाते हो । 3. हम दोनों वंदन करते हैं । 4. वे खडे रहते हैं । वन्दावहे वन्दामहे वन्देथे वन्दध्वे वन्देते वन्दन्ते उभयपदी धातु . पच् = पकाना (गण-1) ह्र = हरण करना, ले लेना (गण-1) हिन्दी में अनुवाद करो 1. त्वं हरसि । 2. वयं हरामहे । 3. आवां पचावहे । 4. अहं पचामि ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy