SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 112 मुह = मोहित होना लुम् = लोभ करना लुट् = आलोटना क्षुभ, = घबराना, क्षोभ पाना संस्कृत में अनुवाद करें 1. वे लोभ करते हैं । 8. मैं जीता हूँ। 2. हम दो मोहित होते हैं। 9. तुम लिखते हो । 3. तुम दोनों त्याग करते हो । 10. हम छूते हैं । 4. तुम क्रोध करते हो । 11. हम खाते हैं । 5. वे दोनों भाग जाते हैं | 12. वे घबराते हैं । 6. हम नृत्य करते हैं । 13. वह कँपता है । 7. वे दोनों मिलते हैं । 14. तुम निंदा करते हो । हिन्दी में अनुवाद करें 1. तौ पुष्यतः । 8. आवां नृत्यावः । 2. ते लुट्यन्ति । 9. यूयं पठथ । 3. स वदति । 10. युवां तरथः । 4. अहं तुष्यामि । 11. ते स्फुटन्ति । 5. यूयं क्षुभ्यथ । 12. स सृजति । 6. युवां कुप्यथः। 13. वयं लुट्यामः । 7. ते मिलन्ति । 14. जयसि त्वम् । | पाठ-6 दसवाँ गण 1. दसवें गण के धातुओं को पहले अपना 'इ' प्रत्यय लगता है, फिर पहले गण की तरह 'अ' विकरण प्रत्यय लगता है और गुण होता है | उदा. चिन्त् + इ = चिन्ति चिन्ति + अ + ति गुण होने पर चिन्ते + अ + ति चिन्तय् + अ + ति = चिन्तयति
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy