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________________ आओ संस्कृत सीखें 5. सर्वेषु भवान् मम प्रियतमोऽस्ति । ------ 6. भवन्तमहं देववत्पश्यामि । 7. ब्राह्मणेभ्यः क्षत्रियाः शूरतरा भवन्ति । 8. बलवद्भयो बुद्धिमन्तो बलवत्तराः सन्ति । 9. व्याकरणेषु आचार्यहेमचन्द्रस्य व्याकरणं श्रेष्ठतममस्ति । . संस्कृत का हिन्दी अनुवाद . 1. सुख और दुःख चक्र की तरह बदलते रहते हैं । 2. आप देखो, ये वेगवाले घोड़े दौड़ते हैं | 3. कुस्थान के प्रवेश से गुणवान भी दुःखी होता है । 4. सचमुच, शत्रु के दीन क्षीण होने पर महान पुरुषों का कोप शान्त होता 5. अमृत थोड़ा भी अच्छा, विष का समूह भी अच्छा नहीं । 6. पराभव होने पर अभिमानवालों को विदेश अच्छा है | 7. महान पुरुषों की प्रवृत्ति सचमुच दूसरों के उपकार के लिए होती हैं । 8. महान् पुरुषों का भी श्रेयः बहुत विघ्नवाला होता हैं । 9. कुरूपता शील से शोभा देती है, और कुभोजन गर्म होने पर शोभा देता 10. अशुभ या शुभ, वास्तव में बड़े पुरुषों का सब बड़ा होता है । 11. सचमुच हारे हुए शत्रु पर भी महान् पुरुष कृपालु होते है । 12. दयालु संत पुरुष दूसरों के दुःख को देखने में समर्थ नहीं होते है | 13. लोक में सभी जगह हमेशा धनवान बलवान होते हैं । 14. यह बालक बुद्धिमान है और विनयवालों में श्रेष्ठ है । 15. बुद्धिशाली मनुष्यों को भी दरिद्रता दिखती है । 16. ये चरवाहे गायवाले हैं, इसलिए इनका शरीर ज्यादा बलवान है । 17. बड़ों को ही संपत्ति और बड़ों को ही आपत्तियाँ आती हैं । 18. मुझे जीवन की आशा बलवान है, और धनकी आशा कमजोर है ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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