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________________ आओ संस्कृत सीखें 13. तुम्हारे में ज्ञान बढता है, मेरे में नहीं बढता है। 14. हमारे में पाप नहीं हैं । 15. वन-वन मे चंदन नहीं होता है । 148 पाठ-19 हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. युद्धे योधा युध्यन्ते बाणाँश्च मुञ्चन्ते । 2. हे नृप ! देवालयान्विना तव ग्रामा न शोभन्ते । 3. अहं पुष्पैः श्रीमहावीरं पूजयामि । 4. हे विनोद ! तवोद्याने पुष्पाणि सन्ति न वा ? 5. किङ्करा भारं वहन्तेऽन्नं च लभन्ते । 6. रमेश ! त्वञ्च रतिलालश्च क्व गच्छथः ? 7. प्रातः विहंगा आकाशे डयन्ते । 8. रतिलालो वा शान्तिलालो वा वदति । 9. नृपो याचकेभ्योऽन्नं यच्छति । 10. कासारे कमलानि सन्ति । 11. याचका धनं याचन्ते । संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 2. 1. हे विनोद ! तू ही संस्कृत अच्छी बोलता है । भोगीलाल ! हम उद्यान में देर तक खेलते हैं । 3. रमेश ! तुम और दिनेश सच नहीं बोलते हो । 4. मैं और रमेश गाँव जा रहे हैं । 5. रे मानवो ! आप धर्म का सेवन क्यों नहीं करते हो । 6. यहाँ पर्वत के शिखर पर जल कहाँ से ? 7. 8. लालचन्द्र ! मोहनलाल और कान्तिलाल कहाँ रहते हें ? 9. अरे नौकरो ! तुम वृक्षों का सिंचन कब करते हो ? सींचते हो या नहीं ? इस तरह अरे दोस्त ! तू मेरे घर से तेरा धन लेकर क्यों नहीं जाता है ?
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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