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________________ आओ संस्कृत सीखें तन्वङ्गी = सुंदर स्त्री (स्त्रीलिंग) मक्खी (स्त्रीलिंग) मक्षिका = मधुकरी = भ्रमरी (स्त्रीलिंग) शृंखला = बेड़ी (स्त्रीलिंग) केवल = सिर्फ (नपुं. लिंग) क्रव्य = मांस (नपुं.लिंग) नभस् = आकाश (नपुं. लिंग) पञ्जर = पिंजरा (नपुं.लिंग) पद्म = कमल (नपुं. लिंग) ब्रह्मन् = ब्रह्मा (नपुं. लिंग) यादस् = जलजंतु (नपुं. लिंग) अवधि = मर्यादा (पुंलिंग) स्व = धन (नपुं. लिंग) अर्जित = प्राप्त किया हुआ (विशेषण) 133 1. 2. कृत्स्न = समस्त (विशेषण) गुरु = बड़ा (विशेषण) दम्भिन् = दंभी (विशेषण) दारुण = भयंकर (विशेषण) धीमत् = बुद्धिशाली (विशेषण) निज = अपना (विशेषण) प्रेष्य = नौकर (विशेषण) भोक्तव्य = खाने योग्य (विशेषण) सञ्चित = इकट्ठा किया हुआ (विशेषण) स्वामिन् = स्वामी (पुंलिंग) नक्तं = रात्रि (अव्यय) यद् = जो (अव्यय) अपर = दूसरा (सर्वनाम) धातुएँ अनु + सृ = अनुसरण करना (गण 1, परस्मैपदी) लोक् = देखना ( गण 1, आत्मनेपदी) ( गण 10, परस्मैपदी) वि + = विलोकन करना सद् (सीद्) = दुःखी होना (गण 1, परस्मैपदी) प्र + = प्रसन्न होना हस् = हसना (गण 1, परस्मैपदी) उद् + स्था = खड़ा होना, स्थिर रहना ( गण 1, परस्मैपदी) उद् + सृज् = त्याग करना (गण 6, परस्मैपदी) = मानना - ( गण 4, आत्मनेपदी) मन् मान् = मानना, पूजना ( गण 10, परस्मैपदी) संस्कृत अनुवाद करो ये दो नगरियाँ बहुत सुंदर हैं, इस कारण उसमें बहुत से सैनिक रहते हैं । 'आ, जा खड़ा रह, बैठ जा, बोल, मौन हो जा । इस प्रकार धनिक याचकों द्वारा क्रीड़ा करते हैं । 3. इन दो वृक्षों पर जो ये पक्षी दिखाई देते हैं, वे इस पिंजरे में थें, हमने उनको पिंजरे में से
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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