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________________ | 5. आओ संस्कृत सीखें 1772 | 3 | वारिणा वारिभ्याम् वारिभिः । | 4 वारिणे । वारिभ्याम् | वारिभ्यः | 5 | वारिणः । वारिभ्याम् वारिभ्यः । 6 | वारिणः । वारिणोः | वारीणाम वारिणि । वारिणो: वारिषु | संबोधन | वारे ! वारि! | वारिणी | वारीणि मधु के रूप | 1. मधु | मधुनी । मधूनि | 2. मधु | मधुनी । मधूनि । मधुना । मधुभ्याम् | मधुभिः । | 4. | मधुने । मधुभ्याम् | मधुभ्यः । मधुनः | मधुभ्याम् | मधुभ्यः । | 6. मधुनः । मधुनोः । मधूनाम् 7. | मधुनि । मधुनोः । मधुषु | संबोधन | मधो ! मधु !| मधुनी | मधूनि संस्कृत में अनुवाद करो 1. यह सुगंधित पवन कहाँ से आता है ? 2. इस कैदखाने में तीन चोर हैं । 3. इन तीन योद्धाओं द्वारा राजा ने नगर का रक्षण किया । 4. उद्यान का ठंडा वायु हमारे चित्त का हरण करता है । 5. जैन जिनेश्वर को और वैष्णव विष्णु को भजते हैं । 6. इस वायु द्वारा वृक्ष ऊपर से सभी पुष्प गिर पड़े । 7. मनुष्य में मान और पशुओं में माया होती है । 8. राजा भी गुरु के वचन मानते हैं | 9. गुरु राजाओं को धर्म का उपदेश देते हैं । 10. इन छोटे बच्चों को कोई कुछ भी नहीं देता है ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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