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________________ [.. मूह तथा भाषांतर. बेसवाना आसन होय छे. ते बाकारे रहेली छे, एक महिनी' रीकामा पंग कडेलु के. ४७ ते कृष्णराजीओन लंबाइमा केटलं प्रमाण के ? जोअणअसंख पोहत्ति संख ईसाणि अधि' अधिमाली। बहरोअणे पहंकर चंदामें सूरि सुकालं ॥४८॥ सुपदशा रिई मज्झे वह बहि वि चित्त। तेसिं पर सारस्सयपमुहा तदुगपरिवारा ॥४९॥ अर्थ ते कृष्णाराजीओ असंख्यावा हजार योजन लांबी छ, संख्याता रनार योजन पृथु (पहोली) छे, तथा तेमनो परिक्षेप (विस्तार-पकिर) असंख्याता हजार योजननो छे. तेमनी उचाइ आ प्रमाणे छे-कोइ महर्दिक देवता जे गति वडे त्रण चपटीमां (त्रण चपटी गाडीये तेटली वारमा) आखा जंबूद्वीपनी फरती एकनीसवार प्रक्षिणा दे, तेवो देवता तेज गति वडे पंदर दिवसे एक कृष्णराजीनु उल्लंघन करे, पण बीजीनु उलंघन करी के नहि. एटली ते उंची छे. ते कृष्णराजीओनी वचमा | छे ? ते कहे छे.आकृष्णारामीनी इशान विगेरे दिशा तथा विदिशाओ मळी पाठे आंतरामा एटले बबे राजीनी बच्चे चार दिशामां चार अने बने रानीना खुणा उपर चार विदिशामां चार एम आठ विमानो, पूर्व - इन्नराजोन चित्र नोचे प्रमाणे डोटी र कृष्णराजीनी नोशानी छ अने । विमानमो निशानो छे.. It
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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