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________________ श्री कायस्थिति प्रकरण. (४५) छे, अने त्यां अधोग्रामो छे. " त्यार पछी त्रण हजार योजन सुधी समभूतलनी तुल्यता होवाथो सरखो. पृथ्वीनो भाग छे. त्यांथी शीतोदा नदीनो प्रवेश तो जयंतद्वारनी नीचे थइने लवण समुद्रमा अनेक हजार योजनो जइने थाय छे. आ अयोदिशामां किरण प्रसरनुं प्रमाण जंवृद्वीपमा रहेला मर्यनी अपेक्षाए ज जाणवू. कारण के वीजा द्वीपना सूर्यों तो अघोदिशामां आठसो योजनन तपे छे. केमके ते क्षेत्रनी पृथ्वी समान-सरखी छे. तथा उंचे (उर्ध्व दिशामां) सर्वे क्षेत्रोमां सर्वे सूर्योनो किरण प्रसर एकसो योअन सुधी छे. ते विषे भगवती सूत्रना आठमा शतकना आठमा उदेशमां का छे के"हे भगवान ! जंबूद्वीपना स्यों केटला क्षेत्र सुधी उंचे तपे छे ? केटला क्षेत्र सुधी नीचे तवे छे ? अने केटला क्षेत्र सुधी तिरछा तपे छे ? हे गौतम ! एकसो योजन, उंचे तपे छे, अधोदिशामा अ. ढारसा योजन तपे छे. इत्यादि.. आ प्रमाणे छ दिशामां सूर्यना किरणनो प्रसर कह्यो. ४०. हवे जंबूद्वीपमांज दक्षिण अने उत्तरमा सर्वदा (हमेशां) सर्व मळीने किरण प्रसर- मान कहे छ:-- पइदिणमवि जम्मुत्तर अडसत्तरि सहस सहसतइअंसा। उद्धृह गुणवीससयाअविछिया पुहावरस्सीउ ॥४१॥ ___ अर्थ-हमेशां दक्षिण अने उत्तरना किरणोनो प्रसर मेळवतां इठोतेर हजार त्रणसो तेत्रीश योजन तथा एक योजननो श्रीजो भाग ७८३३३१ एटला. योजन किरण प्रसरे छे, तथा ऊर्ध्व अने अधो मळीने ओगणीश सो योजन किरण प्रसरे छे, तथा सूर्यथी पूर्वमा अने पश्चिममां सूर्यना किरणो स्थिर छे. केमके सर्वे मांडलामां हानि वृद्धि थाय छे. आ प्रमागे सूर्यना तेजनो प्रसर जंबूदीपने विषेज जाणतो. केमके लवण समुह, धातकीखंड, कालोद
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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