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________________ भूल ग मातर. मां कहे. अने उस्कृष्टयी देशेजणूं अर्ष पुद्गल परावर्तन जेटलं अंतर जाणवू. कारणके समकित पामेल जीव समकित पाम्या पछी उत्कृष्टपणे तेटलोज काल संसारमा रहे छे. माटे अनंता काळ चक्र मळीने एक पुद्गल परावर्तन याय.... हायस्स अंतरं नो समयं तु जहन्नउ पुलायाणं । संखिज्जगवासाई उक्कोसगमंतरं तेसिं॥ महायस्स-स्नातकने | बहनउ-जघन्यथी । बासाइ-वर्षों अंतरं-अंतर पुलायाण-पुलाकने उक्कोसर्ग-उत्कृष्टथी नो-मथी संबिज्जग-संख्याता | तेसि-तेमर्नु अर्थ:-स्नातकने अंतर नयी पुलाकने जघन्यथी समय अने उत्कृष्टयी संख्याता वर्षनु अंतर जाणवु. ९४. विवेवनः-स्नातकने अंतर नथी. कारणके स्नातक अवश्य मोक्षेज जाय. अने स्नातक स्नातकपणु तजीने फरीथी स्नातकयाय त्यारे अंदर कहेवाय ते स्नातकने नयी माटे अंतर नयी. हवे सर्वापेक्षाए अंतर कहे छ:-पुलाकने जघन्ययी एक समयनु अंतर कारणके एक जीव पुलाकपणुं पाम्या पछी वचमां एक समय गया पछी वळी कोई बीजो जीव पुलाकपणुं पामे ते अपेक्षाए जाण. अने उत्कृष्टयी संख्याता वर्षोनुं ओतलं जाणवू. कारणके एक पुलाक थया पछी कोई पुलाकपणुं न पामे तो तेटला वर्ष मुधो न पामे. ९४ निग्गंयाणं समयं उक्कोसं अंतरं तु छम्मासा। सेसाणं तु चउन्हं नो चेव य अंतरं अस्थि ॥९५।।दा.३०॥ निर्गवाणं-निग्रंथोर्नु छम्मासा-छ महिना । गो-गयी समय-समयर्नुसेसाण-पाकोनाव-निचे कोस उकएको पाई-गरने अत्यिक
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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