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________________ ( २७०) भी पंच विधी प्रकरण. वर्त्तता तो बीजा अने चोथा आरामा होय. हवे निग्रन्थ बने स्नातक जन्मथी अने सत्तायी पुलाक समान आगळ जेम पुलाकनु वर्णन कयु तेना सरखंज जाणी लेवू. ते आवी रोतेः__ स्नातक अने निग्रन्थ अवसर्पिणीमां जन्मथी त्रीजा अने चोथा आरामां होय सत्ताथी पांचमा आरामां पण होय. उत्सर्पिणीमां बीजा जीजा अने चोथा आरामां जन्मथी अने सत्ताथी त्रीजा तथा चोथा आरामां होय-अने उत्सर्पिणी अवसर्पिणी व्यतिरिक्त महाविदेहमां हमेशां होप. ५३ संहरणेणं सव्वेवि हुँति सव्वेमु चेव कालेसु। मुत्तं पुलाय समणं एवं कालनि ग्वायं ॥ ५५ ॥ संहरणेहां-संहरणथी चेध-नि एवं-ए प्रमाणे सम्वेषि-सर्वे पण कालेमुलमा कालुत्ति-कालद्वार हुति-होय छे.. मत-मूकी ने बक्खाय-वखाण्यु, सम्वेसु-सर्व समणं-श्रमण क यु. .. अर्थः-पुलाक निग्रन्थ मूकीने बाकीना सर्व निग्रन्यो संहरणथी निश्चे सर्व कालमां (आरामां) होय-अने (महाविदेहमां तेओनी सत्ता हमेशां होगाथी) ए प्रमाणे कालद्वार कयु. ४४ समणी अवगयवेयं, परिहार पुलायमप्पमत्तं च । चउदसपुव्वी आहारगं च, न य कोइ संहरह॥५५॥दा.१२ समणी-साध्वी चारित्री आहारगं-आहारक. अवगयवेयं-अपगत. पुलायं-पुक ल ब्धिवंत वेदी अवेदी अप्पमसं-अप्रमत कोई-कोई परीहार-परीहार चउदसपुवी-चौदपूर्वी संहर-संहरे ___ अर्थः-अवेदी साध्वी, परिहार चारित्री, पुलाक चारित्री, अप्रमत्त साधु, चौद पूर्वी अने आहारक लन्धिवंत एटलाने कोई देवादिक संहरे नाहि. ५५.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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