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________________ .. मूह तथा मापांतर. (२७). तेजस अने कार्मण शरीरवाळा होय. बकुश अने प्रतिसेवा कुशी.. लने वैक्रियपण होय अने कषायाकुशीलने आहारकपण होय. ४७ विवेचन:-हवे द शरीरद्वार कहे छ: स्नातक निग्रन्थ, निग्रन्थ निग्रन्ध अने पुलाक निग्रन्य एत्रण निग्रन्थने औदारिक, तैजस अने कार्मण ए प्रण शरीर होय. बकुश अने प्रविसेवा कुशीलने वैक्रिय साथे चार शरीर पण होय अने कषाय कुशीलने आहारक शरीर साथे पांच साये पांच शरीर पण होय. ४७ कम्मधराइ पुलाओ, सेसा जम्मेण कम्मभूमीसु । संहरणेण पुण ते, अकम्मभूमीसुवि हविज्जा॥४८॥दा.११ कम्मधराइ-कर्मभूमिमा कम्मभूमिसु-कर्म भूः। ते-तेओ पुलाओ-पुलाक मिमां अकम्मभूमिसुवि-अ. सेसा-बाकोना ह रणेण-संहरणयी कर्म भूमिमां पण जम्मेण-जन्मथी पुण-वळी हविजा-होय. . । _____ अर्थः-पुलाक कर्म भूमिमां होय, पाकीना जन्मथी कर्म भूमिमां अने संहरणथी तेभो अकर्म भूमिमा पण होय. ४८ . विवेवनः-हवे११मुं क्षेत्रद्वार कहे छ:-पुलाक निबन्ध जन्मथी अने विहारथी कर्म भूमिन होय अने पाकीना सर्वे. एटले कुछ कुशील, निग्रन्थ अने स्नातक, अन्मया कर्म भूमिमां होय पर देवा. दिकना संहरणयी अकर्म भूमिमा पण विहरे..त्यां संहरण का प्रण पण निग्रन्थ अने स्नातकपणुं होय. ४८ तइय चउत्थ समासु, जम्मेणो सप्पिणीइओ। पुलाओ संतह भविण, पुण तहय चउत्थ पंचमासुसिया४९॥ तइय-बोजा | ओसपिजीओ-अवसः। अपेक्षाए पिंजीयां पंचमानु-पांवमामा समासु-भारामां जम्मेष-जन्मयो संतामवि-समानी | सिया-गोय
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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