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________________ मूह तथा भाषांतर. (२१३) अपेक्षा कारण ते अधर्मारितकायः अधर्मास्तिकायनो खंध पण. चौदराज लोक व्यापी छे, अने असंख्यात प्रदेशी छे. ३ आकाशास्तिकाय-'आ' एटले मर्यादापूर्वक सर्वे पदार्थों ज्या प्रकाशे एटले सर्वे द्रव्यो ज्यां पोताना स्वभावने पामे छे आकाश तेना.प्रदेशनो समुदाय ते आकाशास्तिकाय. जे जीव अगे पुद्गलने अवकाश आपे ते आकाशास्तिकाय. तेनो खंध लोकालोक व्यापी छे. अने अनंत प्रदेशी छे. लोक ते चौद राज लोक जेमां छए द्रव्य होय छे, अने ते सिवाय अलोकाका जाणवो. ४ काल-'कलन कालः' ते कालना वे प्रकार छे. १ वर्तना लक्षण. २ समयावलिकादि लक्षण द्रव्यने ते ते रुपे थवामा जे प्र. योजक ते वर्तना. वर्तना जे लक्षण-लिंग जेनुं ते वर्तना लक्षण, आ वर्तना समस्त द्रव्य क्षेत्र अने माव (पर्याय ) व्यापी छे. बीजो समयावलिकादि काल ते अढी द्वीपना द्रव्यादिमां छे. तेनी बहार नामां नथी. सूक्ष्ममां सूक्ष्म कालजे वर्तमान मटी भूत क्यारे थयो. तथा जे भविष्य मटी वर्तमान क्यारे थयो ते पण जणाय नहि. ते समय-आंख बंध करीने उघाडीए तेमां असंख्याता समय थाय छे. तेवा असंख्याता समयनी एक आवली थाय छे. ५ स्कन्ध-स्कन्ध ते पुद्गल स्कन्ध जाणवा. पूरण गलन अ. थवा चय उपचय धर्म ते पुद्गल तेना बे अणुथी मांडीने अनन्ता अणु सुधीना बनेला ते स्कन्ध कहेवाय. . ६ कर्म-आ समस्त चौद राजलोक कर्मवर्गणाथी निरंतर ( ठांसीने) भरेलो छ. ते कर्मवर्गणाने मिथ्यात्वादि सामान्य हेतु वडे अने ज्ञानज्ञानीनां प्रत्यनीकपणुं आदि विशेष हेतु वडे ग्रहण करीने जीव आत्म प्रदेशनी साथे क्षीरनीरनी पेठे अथवा अग्नि अने. लोहनी पेठे संबंध करे ते कर्म. ते कर्म आठ प्रकारे छे.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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