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________________ ( १८८) मूल तथा भाषांतर. होवा छतां अने एक निगोद छे त्यांज एकावगाहनावाळी (तेना जेटलीज अवगाहनावाळी ) असंख्याती निगोदो छतां असत्कल्पनाए सो जोवनी स्पर्शना कल्पवी. हवे परमार्थथी एक एक जीवना चौदराज लोकना प्रदेश जेटला प्रदेश होवाथी ते अवगाहनामां एक एक आकाश प्रदेश उपर असंख्याता प्रदेशो छे. कारणके एक जी. वना चौदराज लोक प्रमाण प्रदेश संख्याने अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटला आकाश प्रदेशे भागवायी असंख्यात आवे. माटे एक एक आकाश प्रदेशमा एक एक जीवना असंख्यात प्रदेश रहेला छे तेने बदले एक लाख कल्पोए, एवी रीते असत्कल्पनाए ते जघन्यपदमां एक एक जीवना लाख लाख प्रदेश गणतां सो जीवना मळी एक क्रोड जीव प्रदेशो यया. हवे उत्कृष्टपदे परमार्थे तथा असत्कल्पनाए केटला प्रदेश पाय ते गणावे छ: उत्कृष्टपद संपूर्ण गोलामां होय छे. ते संपूर्ण गोलाने संपूर्ण गोळा उत्पन्न करनारी बीजी असंख्याती निगोदोनी स्पर्शना हो. वाथी जघन्यपदनी स्पर्शना करता उत्कृष्टपदनी स्पर्शना असंख्यात गुणी वधारे छे माटे जघन्यपदना जीव प्रदेश करतां उत्कृष्टपदा जीव प्रदेशनी संख्या असंख्यातगुणी जागवी. उत्कृष्ट पदमा स्पर्शना आ प्रमाणे:-एकावगाहनावाळी संपूर्ण गोलानी निष्पादक असंख्याती निगोदो तथा उत्कृष्टपदने नहि छोडनारी (जेनी अवगाहनामा उत्कृष्टपद रुप ते आकाश प्रदेश रहेल होय ते ) प्रथम निगोदनी अवगाहनानी अपेक्षाए एक एक प्रदेशनी श्रेणीनी हानिवाळी प्रत्येक असंख्याती निगोदो वडे स्पर्शाएली छे. माटे तेमां जघन्यपद करतां असंख्यातगुणा वधारे जीव प्रदेशनी स्पर्शना छे. ते असंख्यातगुणा छतां असत्कल्पनाए कोटिसहस्र गणतां अने
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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