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________________ श्री सिद्धदण्डिकास्तष. ( १७३) सतुंजय-शजयऊपर । सुबुद्धिणा-सुबुद्धिम- । अहापयंमि-अष्टापद सिद्धा सिद्ध थपला । वीए उपर सिठा-कां भरह-भरतराजाना जह-जेम तह-तेम् बंस-वंश, कुल सगरसुआण-सगर कित्तिअं-कीर्तनने निवा-राजा राजाना पुत्रोने थुणिमो-कहुंछु ___ अर्थ-जेम सगरराजाना पुत्रो आगळ अष्टापद पर्वत उपर सुबुद्धि मंत्रीए शत्रुजय पर्वत उपर भरत वंशना जे राजाओ सिद्धिपदने पामेला कह्या तेम हुं कीर्तन करीश. २ . आइच्चजसाइ सिवे, चउदसलक्खा य एगु सव्वठे । एवं जा इक्किका, असंख इगद्गतिगाई वि ॥३॥ आइच्च जसाइ-आ. | पगु-एक इक्विका-एक एक दित्य यशादि | सवठे-सर्वार्थसिद्धे । असंख-असंख्यात सिवे-मोक्षमां (पांच अनुत्तरे) | इग-एक घउदस-चौद एवं-ए प्रमाणे | दुग-बे लख्खा-लाख जा-यावत् तिगाइवि-धिकादिप अर्थ-आदित्य यशादि चौद लाख मोक्षे गया पछी एक सर्वार्थसिद्धे एवी रीते ( कहेतां ) एक एक असंख्याता थाय एम बेबेत्रण त्रण पण. ३ विवेचन-नाभि राजाना वंशमां उत्पन्न थएला आदित्य यशादि चौद लाख राजाओ निरंतर मोक्षे गया. एटले ए वंशमां आदित्ययश राजाथी मांडीने जे जे राजाओ पाटे आव्या ते मोक्षे गया. ए प्रमाणे चौद लाख राजाओ मोक्षे गया. त्यार पछी एक सर्वार्थसिद्धे गया. अहीं सर्वार्थसिद्ध कहेवाथी सघळे पांच अनुत्तर विमान जाणवा. कारणके पांचे विमानना आधार एवा तेना प्रस्तटनी सर्वार्थ नामे रुढि छे. एक सर्वार्थसिद्ध गया पछी चौद लाख मोक्षे गया. त्यार पछी एक सर्वार्थसिद्धे. त्यार पछी चौद लाख
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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