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________________ यह निर्वचन, निर्वचन सिद्धांतके अनुकूल है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त हैं। व्याक्रणके अनुसार इसे क्वणअव्यक्ते शब्दे+कारू प्रत्यय कर बनाया जा सकता है। इसमें भी व का उ सम्प्रसारणसे ही हुआ है। (35) दमूना :- दमूनाका अर्थ होता है अग्नि । यह दम् उपशमे धातुसे निष्पन्न होता है। यास्कका कहना है कि कुछ वैदिक कृदन्त नामोंका निर्वचन लौकिक संस्कृतधातुओंसे किया जाता है। इसीके उदाहरणमें इन्होंने दमूना शब्द को उपस्थापित किया है। दम् उपशमे धातु लौकिक संस्कृतकी है और दमूना शब्द वैदिक कृदन्त है। दम् धातुसे लौकिक प्रयोग दाम्यति, ददाम, दमिना, दमिष्यति आदि रूप बनते है। पुनः वेदमें दमूनस- दमूनाका प्रयोग दम् + ऊनस् प्रत्यय करने पर सिद्ध होता है । वेदमें दमूनाका प्रयोग अग्नि एवं अतिथि के लिए पाया जाता है। यास्कदमूनाके निर्वचन कई प्रकारसे प्रस्तुत करते हैं (1) दममनाः जिसका मन जीत लिया गया हो। जीत लिया गया है मन जिसका उसे दममना तथा दममचासे दमूना शब्द बनेगा। इसका अर्थ होगा दयावान व्यक्ति ।दममना दमूना 1.2) दानमना अर्थात् जिसका मन दान देने में रत हो। दान मनासे दमूना। इसका अर्थ दानशील है। (3) दान्तमना वा अर्थात् जिसका मन अच्छे लोगोंके प्रति आसक्त हो दान्तमना – दमूना। (क) दम इति गृह नाम तन्मना स्यात् अर्थात् दमका अर्थ धर होता है तथा उस घरके प्रति जिसका मन लगा हो उसे दमूना कहा जायगा दम - मना - दमूना। इसका अर्थ गृहस्थ होगा। उपर्युक्त निर्वचनोंसे स्पष्ट है कि दमूना अग्नि,अतिथि, दयावान् दानशील, गृहस्थआदिअर्थ व्यक्त करता है। यास्कका प्रथम एवं अन्तिम निर्वचन दममना, एवं दम इति गृहनाम तन्मना-दमूनों में ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। इसे ही भाषा वैज्ञानिक दृष्टिसे उपयुक्त माना जायगा। शेष निर्वचनोंका अर्थात्मक महत्त्व है। दम शब्दअन्य भारोपीय परिवारकी भाषाओंमें भी साम्य रखता है- लै०-दोमुस्, फा0 दम, अंग्रे०-होम आदि। व्याकरणके अनुसार इसे दम+ ऊनसि प्रत्यय कर बनाया जा सकता है। (36) क्षेत्रसाधा :- इसका अर्थ होता है खेतोंको विभक्त करने वाला। क्षेत्र साधा में क्षेत्र उपपद है तथा साधाः, क्षेत्र+ साधा:-क्षेत्रसाधाः शब्द १५३: व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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