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________________ ४१४ विशेषण संकलित हैं। इसके अतिरिक्त भाववाचक शब्द प्रशस्य प्रजा आदि शब्द पर्याय तथा उनसे सम्बद्ध क्रियायें भी संकलित हैं। इस अध्यायकी संख्या खण्डानुसार निम्नलिखित हैं : १. बहुनाम १२, २.ह्रस्वनाम ११, ३. महन्नाम २५, ४. गृहनाम २२, ५. परिचरणकर्मा १०, ६. सुखनाम २०, ७. रूपनाम १६, ८. प्रशस्यनाम १०,९. प्रज्ञानाम ११, १०. सत्यनाम ६,११. पश्यतिकर्मा ८, १२. सर्वपदसमाम्नाय ९, १३. उपमावाचक ११, १४. अर्चतिकर्मा ४४, १५. मेधाविनाम २४, १६. स्तोतनाम १३, १७. यज्ञनाम १५, १८. ऋत्विनाम ८, १९. याच्याकर्मा १७. २०. दानकर्मा १०, २१. अध्येषणाकर्मा ४, २२. स्वपितिकर्मा २, २३. कूपनाम १४, २४. स्तेननाम १४,२५. निर्णीतान्तर्हित ६, २६. दूरनाम ५, २७. पुराणनाम ६, २८. नव नाम ६, २९. द्विषदुत्तरनाम २६, ३० द्यावापृथिवीनाम २४, कुल ४०८. नैघण्टु काण्ड के तीनों अध्यायों के शब्दोंकी कुल संख्या निम्नलिखित हुई : संख्या प्रथम अध्याय द्वितीय अध्याय . ५१६ तृतीय अध्याय . ४०८ कुल शब्द संख्या : १३३८ निघण्टु का चौथा अध्याय ऐकपदिक काण्ड या नैगम काण्ड कहलाता है जैसा कि पूर्व प्रतिपादित है। इसमें संकलित शब्द नैघण्टुक काण्डके शब्दोंकी अपेक्षा अधिक कठिन है। इसे अनवगत संस्कार वाला कहा जा सकता है। सम्पूर्ण अध्याय तीन खण्डोंमें विभाजित है। इसके शब्दोंका क्रम पूर्ण स्पष्ट नहीं मालूम पड़ता। चतुर्थ अध्यायके कुल शब्दोंकी संख्या खण्डानुसार निम्नलिखित हैं :प्रथम खंड ६२ द्वितीय खण्ड . ८४ तृतीय खण्ड कुल शब्द . २७९ निघण्टुका पांचवा अर्थात् अंतिम अध्याय दैवतकाण्ड कहलाता है। इस अध्यायमें देवताओं के नाम संकलित हैं। देवताओंका त्रिघा विभाजन इसी से स्पष्ट हो जाता है। प्रकृत १३३ ८९ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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