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________________ 474 भद्रबाहुसंहिता जो मनुष्य सम्पूर्ण अंगोपांगों से सहित छाया पुरुष का दर्शन करता है वह चिरकाल तक जीवित रहता है, इसमें सन्देह नहीं है ।।77।। आस्तां तु जीवितं मरणं लाभालाभं शुभाशुभम् । यच्चिन्तितमनेकार्थ छायामात्रेण वीक्ष्यते ॥78॥ जीवन, मरण, लाभ, अलाभ, शुभ, अशुभ इत्यादि अनेक बातें छाया पुरुष के दर्शन से जानी जा सकती हैं ।। 78।। स्वप्नफलं पूर्वगतं त्वध्याये चाधुना परः । निमित्तं शेषमपि तत्र प्रकथ्यते सूत्रत: क्रमश: ॥7॥ यद्यपि स्वप्नफल का निरूपण पूर्व अध्याय में हो चुका है फिर भी सूत्र क्रमानुसार फल ज्ञात करने के लिए स्वप्न का निरूपण किया जा रहा है ।।79॥ दशपञ्चवर्षेस्तथा पञ्चदशदिन: क्रमश:। रजनीनां प्रतियामं स्वप्न: फलत्येवायुषः प्रश्ने ॥80॥ आयु के विचार-क्रम में रात्रि के विभिन्न प्रहरों में देखे गये स्वप्नों का फल क्रमशः दस वर्ष, पाँच वर्ष, पाँच दिन तथा दस दिन में प्राप्त होता है ॥800 शेषप्रश्नविशेषे द्वादशषत्र्येकमासकैरेव । स्वप्न: क्रमेण फलति प्रतियामं शर्वरी दृष्टः ॥81॥ आयु के अतिरिक्त शेष प्रकार के प्रश्नों का फल रात्रि के विभिन्न प्रहरों के अनुसार क्रमश: बारह, छह, तीन और एक महीने में प्राप्त होता है ।।81॥ करचरणजानुमस्तकजंघांसोदरविभंगिते दृष्ट। जिनबिम्बस्य च स्वप्ने तस्य फलं कथ्यते क्रमशः ॥82॥ हाथ, पैर घुटने, मस्तक, जंघा, कन्धा तथा उदर के स्वप्न में भंगित होने का फल तथा स्वप्न में जिन बिम्ब के दर्शन का फल क्रमश. वर्णन करेंगे ।821 करभंगे चतुर्मासै: त्रिमास: पदभंगतः। जानुभंगे तु वर्षेण मस्तके दिनपञ्चभिः ॥8॥ स्वप्न में करभंग (हाथ का टूटना) देखने से चार महीने में मृत्यु, पदभंग देखने से तीन महीने में, जानुभंग देखने से एक वर्ष में और मस्तक भंग देखने से पांच दिन में मृत्यु होती है ।।83।। वर्षयुग्मेन जंघायामंसहीने द्विपक्षतः । ब्रूयात् प्रात: फलं मन्त्री पक्षणोदरभंगतः ॥84॥
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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