SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 569
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्टाऽध्यायः ___471 वर्षद्वयं तु हस्तका कर्णहीनैकवत्सरम् । केशहीनकषण्मासं जानुहीना दिनककम् ॥63॥ एक हाथ से हीन छाया दिखलायी पड़ने पर दो वर्ष की आयु, एक कान से रहित छाया दिखलायी पड़ने पर एक वर्ष की आयु, केश से रहित छाया दिखलायी पड़ने पर छह महीना और जानु से रहित दिखलायी पड़ने पर एक दिन की आयु होती है ।।63॥ बाहुसितासमायुक्तं कटिहीना दिनद्वयम् । दिनाघं शिरसा हीना सा षण्मासमनासिका ॥64॥ श्वेत बाह से युक्त तथा कमर से रहित छाया दिखलाई पड़े तो दो दिन की आयु होती है। सिर से रहित छाया दिखलाई पड़े तो आधे दिन की आयु एवं नासिका रहित छाया दिखलाई पड़े तो छह महीने की आयु होती है ।।6411 हस्तपादाग्रहीना वा त्रिपक्षं सार्द्धमासकम् । अग्निस्फुलिंगान् मुञ्चन्ती लघुमृत्युं समादिशेत् ॥65॥ हाथ और पांव से रहित छाया दिखलाई पड़े तो तीन पक्ष या डेढ़ महीने की आयु समझनी चाहिए। यदि छाया अग्नि स्फुलिंगों को उगलती हुई दिखलाई पड़े तो शीघ्र मृत्यु समझनी चाहिए ॥6 5।। रक्तं मज्जाञ्च मञ्चन्ती प्रतितैलं तथा जलम्। एकद्वित्रिदिनान्येव दिनार्द्ध दिनपञ्चकम् ॥66॥ रक्त, चर्बी, पीप जल और तेल को उगलती हुई छाया दिखलाई पड़े तो क्रमश: एक, दो, तीन, डेढ़ दिन और पाँच दिन की आयु समझनी चाहिए ॥66॥ परछायाविशेषोऽयं निर्दिष्ट: पूर्वसूरिभिः । निजच्छायाफलं चोक्तं सर्वं बोद्धव्यमत्र च ॥67॥ उक्ता निजपरच्छाया शास्त्रदृष्ट्या समासतः। इत: परं ब्रुवे छायापुरुषं लोकसम्मतम् ॥68॥ पूर्वाचार्यों ने परछाया के सम्बन्ध में ये विशेष बातें बतलायी हैं। अवशेष अन्य बातों को निजच्छाया के समान समझ लेना चाहिए । संक्षेप में शास्त्रानुसार निज-पर छाया का यह वर्णन किया गया है। इसके अनन्तर लोकसम्मत छायापुरुष का वर्णन करते हैं ।।67-68॥
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy