SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 564
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 466 भद्रबाहुसंहिता चन्द्रभास्करयोबिम्बं नानारूपेण पश्यति । सच्छिद्र यदि वा खण्डं तस्यायुर्वर्षमात्रतः ॥32॥ जो कोई संसार में चन्द्रमा और सूर्य को नगना रूपों में तथा छिद्रों से परिपूर्ण देखता है उसकी आयु एक वर्ष की होती है ।।32॥ दीपशिखां बहुरूपां हिमदवदग्धां यथा दिशा सर्वांगम्। य: पश्यति रोगस्थो लघुमरणं तस्य निदिष्टम् ॥33॥ जो रोगी व्यक्ति दीपक के प्रकाश की लौ को अनेक रूप में देखता है तथा दिशाओं को अग्नि या शीत मे जलते हुए देखे तो उसकी मृत्यु निकट समय में होती है ॥33॥ बहुच्छिद्रान्वितं बिम्बं सूर्यचन्द्रमसोभुवि । पतन्निरीक्ष्यते यस्तु तस्यायुर्दशवासरम् ॥34॥ जो रोगी पृथ्वी पर सूर्य और चन्द्रमा के बिम्ब को अनेक छिद्रों से युक्त भूमि पर गिरते हुए देखता है उसकी आयु दस दिन की होती है ।।3411 चतुर्दिक्षु रवीन्दूनां पश्येद् बिम्बं चतुष्टयम् । _ छिद्रं वा तद्दिनान्येव चत्वारश्च मुहूर्त्तका: ॥35॥ ___ जो सूर्य या चन्द्रमा के चारों बिम्बों को चारों दिशाओं में देखे वह चार घटिका अर्थात् एक घण्टा छत्तीस मिनट जीवित रहता है ।।35॥ तयोबिम्बं यदा नीलं पश्येदायश्चदिनम् । तयोश्छिद्र विशन्तं भ्रमरोच्चयं......... ..॥36॥ यदि रोगी सूर्य और चन्द्रमा के बिम्ब को नील वर्ण का देखता है तो उसकी आयु चार दिन की होती है। सछिद्र सूर्यबिम्ब और चन्द्रबिम्ब में भौंरों के समूह को प्रवेश करते हुए देखने से भी चार दिन की आयु होती है ।।36।। प्रज्वलद्वासधूमं वा मुञ्चद्वा रुधिरं जलम् । य: पश्येद् बिम्बमाकाशे तस्यायुः स्याद्दिनानि षट् ॥37॥ जो कोई रोगी सूर्य और चन्द्र बिम्ब में से धुआं निकलता हुआ देखे, सूर्य और चन्द्रबिम्ब जलते हुए देखे अथवा सूर्य चन्द्र बिम्ब में से रुधिर निकलते हुए देखे तो वह छह दिन जीवित रहता है ।।370 वाणभिन्नमिवालीढं बिम्बं कज्जलरेखया। यो वा पश्यति खण्डानि षण्मासं तस्य जीवितम् ॥38॥
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy