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________________ षड्विंशतितमोऽध्यायः अमावस्या - -इस तिथि का स्वप्न मिथ्या होता है । धनप्राप्ति सूचक फल - स्वप्न में हाथी, घोड़ा, बैल, सिंह के ऊपर बैठकर गमन करता हुआ देखे तो शीघ्र धन मिलता है। पहाड़, नगर, ग्राम, नदी और समुद्र के देखने से भी अतुल लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तलवार, धनुष और बन्दूक आदि से शत्रुओं को ध्वंस करता हुआ देखने से अपार धन मिलता है । स्वप्न में हाथी, घोड़ा, बैल, पहाड़, वृक्ष और गृह इन पर आरोहण करता हुआ देखने से भूमि के नीचे से धन मिलता है । स्वप्न में नख और रोम से रहित शरीर के देखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । स्वप्न में दही, छत्र, फूल, चमर, अन्न, वस्त्र, दीपक, ताम्बूल, सूर्य, चन्द्रमा, पुष्प, कमल, चन्दन, देव-पूजा, वीणा और अस्त्र देखने से शीघ्र ही अर्थ-लाभ होता है । यदि स्वप्न में चिड़ियों के पर पकड़ कर उड़ता हुआ देखे तथा आकाशमार्ग में देवताओं की दुन्दुभि की आवाज सुने तो पृथ्वी के नीचे से शीघ्र धन मिलता है । 451 सन्तानोत्पादक स्वप्न - स्वप्न में वृषभ, कलश, माला, गन्ध, चन्दन, श्वेत पुष्प, आम, अमरूद, केला, सन्तरा, नीबू और नारियल इनकी प्राप्ति होने से तथा देवमूर्ति, हाथी, सत्पुरुष, सिद्ध, गन्धर्व, गुरु, स्वर्ण, रत्न, जौ, गेहूं, सरसों, कन्या, रक्तपान करना, अपनी मृत्यु देखना, केला, कल्पवृक्ष, तीर्थ, तोरण, भूषण, राज्यमार्ग, और मट्ठा देखने से शीघ्र ही सन्तान की प्राप्ति होती है । किन्तु फल और पुष्पों का भक्षण करना देखने से सन्तान मरण अथवा गर्भपात होता है । मरण सूचक स्वप्न स्वप्न में तल मले हुए, नग्न होकर भैंस, गधे, ऊँट, कृष्ण बैल और काले घोड़े पर चढ़कर दक्षिण दिशा की ओर गमन करना देखने से; रसोईगृह में, लाल पुष्पों से परिपूर्ण वन में और सूतिका गृह में अंग-भंग पुरुष का प्रवेश करना देखने से; झूलना, गाना, खेलना, फोड़ना, हँसना, नदी के जल में नीचे चले जाना तथा सूर्य, चन्द्रमा, ध्वजा और ताराओं का गिरना देखने से; भस्म, घी, लोह, लाख, गीदड़, मुर्गा, बिलाव, गोह, न्योला, बिच्छू, मक्खी, सर्प और विवाह आदि उत्सव देखने से एवं स्वप्न में दाढ़ी, मूंछ और सिर के बाल मुँड़वाना देखने से मृत्यु होती है । 1 पाश्चात्य विद्वानों के मतानुसार स्वप्नों के फल — यों तो पाश्चात्य विद्वानों ने अधिकांश रूप से स्वप्नों को निस्सार बताया है, पर कुछ ऐसे भी दार्शनिक हैं जो स्वप्नों को सार्थक बतलाते हैं। उनका मत है कि स्वप्न में हमारी कई अतृप्त इच्छाएँ भी चरितार्थ होती हैं । जैसे हमारे मन में कहीं भ्रमण करने की इच्छा होने पर स्वप्न में यह देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम कहीं भ्रमण कर रहे हैं । सम्भव है कि जिस इच्छा ने हमें भ्रमण का स्वप्न दिखाया है वही कालान्तर में हमें भ्रमण कराये । इसलिए स्वप्न में भावी घटनाओं का आभास मिलना साधारण बात है । कुछ विद्वानों ने इस थ्योरी का नाम सम्भाव्य गणित रक्खा
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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