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________________ 446 मनोरथ सिद्ध करने वाला होता है । आरोहण -- वृप, गाय, हाथी, मन्दिर, वृक्ष, प्रासाद और पर्वत पर स्वय आरोहण करते हुए देखना या दूसरे को आरोहित देखना अर्थ-लाभ सूचक है । कपास – कपास देखने से स्वस्थ व्यक्ति रुग्ण होता है और रोगी की मृत्यु होती है। दूसरे को देते हुए कपास देखना शुभप्रद है । कबन्ध - नाचते हुए छीन कबन्ध देखने से आधि, व्याधि और धन का नाश होता है । वराहमिहिर के मत से मृत्यु होती है । कलश – कलश देखने से धन, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है । कलशी देखने से गृह में कन्या उत्पन्न होती है । भद्रबाहुसंहिता कलह — कलह एवं लड़ाई-झगड़े देखने से स्वस्थ व्यक्ति रुग्ण होता है और रोगी की मृत्यु होती है । काक -- - स्वप्न में काक, गिद्ध, उल्लू और कुकुर जिसे चारों ओर से घर कर त्रास उत्पन्न करें तो मृत्यु और अन्य को त्रास उत्पन्न करते हुए देखे तो अन्य की मृत्यु होती है। कुमारी कुमारी कन्या को देखने से अर्थलाभ एवं सन्तान की प्राप्ति होती है । वराहमिहिर के मत से कुमारी कन्या के साथ आलिंगन करना देखने से कष्ट एवं धनक्षय होता है । कूप —गन्दे जल या पंक वाले कूप के अन्दर गिरना या डूबना देखने से स्वस्थ व्यक्ति रोगी और रोगी की मृत्यु होती है । तालाब या नदी में प्रवेश करना देखने से रोगी को मरण तुल्य कष्ट होता है । क्षौर - नाई के द्वारा स्वयं अपनी या दूसरे की हजामत करना देखने से कष्ट के साथ-साथ धन और पुत्र का नाश होता है । गणपति दैवज्ञ के मत से मातापिता की मृत्यु, मार्कण्डेय के मत से भार्यामरण के साथ माता-पिता की मृत्यु और बृहस्पति के मत से पुत्र मरण होता है । खेल--अत्यन्त आनन्द के साथ खेल खेलते हुए देखना दुस्वप्न है । इसका फल बृहस्पति के मत से रोना, शोक करना एवं पश्चात्ताप करना ब्रह्मवैवर्त पुराण के मत से - धन नाश, ज्येष्ठ पुत्र या कन्या का मरण और भार्या को कष्ट होता है । नारद के मत से सन्तान नाश और पाराशर के मत से- -धन-क्षय के साथ अपकीर्ति होती है। गमन - दक्षिण दिशा की ओर गमन करना देखने से धन-नाश के साथ कष्ट, पश्चिम दिशा की ओर गमन करना देखने से अपमान, उत्तर दिशा की ओर गमन करना देखने से स्वास्थ्य लाभ और पूर्व दिशा की ओर गमन करना देखने से धन प्राप्ति होती है | गर्त - उच्च स्थान से अन्धकारमय गर्त में गिर जाना देखने से रोगी की
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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