SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 483
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वाविंशतितमोऽध्यायः 385 और शनिवार को मकर संक्रान्ति का होना शुभ नहीं है। स्वाति, ज्येष्ठा, भरणी, आर्द्रा, आश्लेषा इन नक्षत्रों के पन्द्रहवें मुहूर्त में मकर राशि या सूर्य के प्रविष्ट होने से अशुभ फल होता है। पुनर्वसु, विशाखा, रोहिणी और तीनों उत्तरा नक्षत्रों के चौथे या पांचवें मुहूर्त में सूर्य प्रवेश करे तो शुभ फल होता है। सूर्य की संक्रान्ति के दिन से ग्यारहवें, पच्चीसवें, चौथे या अठारहवें दिन अमावस्या का होना सुभिक्ष सूचक है । यदि पहली संक्रान्ति का नक्षत्र दूसरी संक्रान्ति में आवे तो शुभ फल होता है, किन्तु उस नक्षत्र से दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें नक्षत्र शुभ नहीं होते। सूर्य की संक्रान्तियों के अनुसार फलादेश --- मेष की संक्रान्ति के दिन तुला राशि का चन्द्रमा हो तो छ: महीने में धान्य की अधिकता करता है। सभी प्रदेशों में सुभिक्ष होता है । बंगाल और पंजाब में चावल, गेहूं की उपज अधिक होती है। देश के अन्य सभी भागों में भी मोटे धान्यों की उत्पत्ति अधिक होती है। मेष संक्रान्ति प्रातःकाल होने पर शुभ, मध्याह्न में होने से निकृष्ट और सन्ध्याकाल में होने से अतिनिकृष्ट फल होता है। मेष संक्रान्ति रात्रि में प्रविष्ट हो तो साधारणतः अशुभ फल होता है । यदि संक्रान्ति काल में अश्विनी नक्षत्र क्रूर ग्रहों द्वारा विद्ध हो तो अशुभ फल होता है । राष्ट्र में अनेक प्रकार के उपद्रव होते हैं । वर्षा की भी कमी रहती है। मेष संक्रान्ति, कर्क संक्रान्ति और मकर संक्रान्ति का फल एक वर्ष तक रहता है । यदि ये तीनों संक्रान्तियाँ अशुभ वार, अशुभ घटियों में आती हैं, तो देश में नाना प्रकार के उपद्रव होते हैं। शनिवार को मेष संक्रान्ति पड़ने से जगत् में अशान्ति रहती है। चीन और रूस में अन्न आदि पदार्थों की बहलता होती है। पर आन्तरिक अशान्ति इन राष्ट्रों में भी बनी रहती है। वृष की संक्रान्ति में वृश्चिक राशि चन्द्रमा के रहने से चार महीने तक अन्न लाभ होता है। सुभिक्ष और शान्ति रहती है । खाद्यान्नों की बहुलता सभी देशों और राष्ट्रों में रहती है। काशी, कन्नौज और विदर्भ में राजनीतिक संघर्ष होता है। वृष की संक्रान्ति बुधवार को होने से घी के व्यापार में लाभ होता है। शुक्रवार को वृष की संक्रान्ति हो तो रसपदार्थों की महंगी होती है। शनिवार को इस संक्रान्ति के होने से अन्न का भाव तेज होता है। मिथुन की संक्रान्ति को धनु का चन्द्रमा हो तो तिल, तेल, अन्न संग्रह करने से चौथे महीने में लाभ होता है । यदि चन्द्रमा क्रूर ग्रह सहित हो तो लाभ के स्थान में हानि होती है। कर्क की संकान्ति में मकर का चन्द्रमा हो तो दुभिक्ष होता है। इस योग के चार महीने के उपरान्त धनिक भी निर्धन हो जाता है । सभी की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जाती है। देश के कोने-कोने में अन्न की आवश्यकता प्रतीत होती है। जिन राज्यों, प्रदेशों और देशों में अच्छा अनाज उपजता है, उनमें भी अन्न की कमी हो जाने से अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं। कन्या की संक्रान्ति होने पर मीन
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy