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________________ प्रस्तावना 43 यदि पृच्छक रास्ते में हो, शयनागार में हो, पालकीपर सवार हो, मोटर, साइकिल, घोड़े, हाथी आदि किसी भी सवारी पर सवार हो तथा हाथ में कुछ भी चीज न लिये हो, तो असंयुक्त प्रश्न होता है । यदि पृच्छक पच्छिम दिशा की ओर मुँह कर प्रश्न करे तथा प्रश्न करते समय कुर्सी, टेबुल, बेंच अथवा अन्य Mast की वस्तुओं को छूता हुआ या नोंचता हुआ प्रश्न करे तो उस प्रश्न को भी असंयुक्त समझना चाहिए। असंयुक्त प्रश्न का फल प्रायः अनिष्टकर ही होता है । यदि प्रश्न वाक्य का आद्याक्षर गा, जा, ढा, दा, बा, ला, सा, गै, जै, बै, डै, लं, सै, घि, झि, पि, धि, भि, वि, हि, को, झो, ढो, वो, हो में से कोई हो तो असंयुक्त प्रश्न होता है । इस प्रकार के असंयुक्त प्रश्न का फल अशुभ होता है । प्रश्नकर्त्ता के प्रश्नाक्षरों में कख, खग, गध, घङ, चछ, जझ, झञ, टठ, डढ, ढण, तथ, थद, दध, धन, पफ, फब, बभ, भम, यर, रल, लव, वश, शष, और सह इन वर्णों के क्रमशः विपर्यय होने पर परस्पर में पूर्व और उत्तरवर्ती हो जाने पर अर्थात् खक, गख, घग, ङघ, छ्च, झज, अझ, ठट, डट, गढ, थत, दथ, धद, नध, फप, बफ, भब, मभ, रय, लर, वल, पश, सष, और हस होने पर अभिहित प्रश्न होता है । इस प्रकार के प्रश्नाक्षरों के होने से कार्य सिद्धि नहीं होती । प्रश्न वाक्य के विश्लेषण करने पर पंचम वर्ग के वर्णों की संख्या अधिक हो तो भी अभिहित प्रश्न होता है । प्रश्न वाक्य का आरम्भ उपर्युक्त अक्षरों के संयोग से निष्पन्न वर्गों से हो तो अभिहित प्रश्न होता है । इस प्रकार के प्रश्न का फल भी अशुभ है । अकार स्वर सहित और अन्य स्वरों से रहित अ क च त प य श ङनण न म ये प्रश्नाक्षर या प्रश्नवाक्य के आद्याक्षर हों तो अनभिहित प्रश्न होता है । अनभिहित प्रश्नाक्षर स्ववर्गक्षारों में हों, तो व्याधि-पीड़ा और अन्य वर्गाक्षरों में हों तो शोक, सन्ताप, दुःख भय और पीड़ा फल होता है । जैसे किसी व्यक्ति का प्रश्न वाक्य 'चमेली' है । इस वाक्य में आद्याक्षर में अ स्वर और च व्यंजन का संयोग है, द्वितीय वर्ण 'मे' में ए स्वर और म व्यंजन का संयोग है तथा तृतीय वर्ण ली में ई स्वर और ल् व्यंजन का संयोग है । अतः च् + अ + म् + ए + ल् + ई इस विश्लेषण में अ + च् + म् ये तीन वर्ण अनभिहित, ई अभिधूमित, ए आलिंगित और ल अभिहत संज्ञक है । " परस्परं शोधयित्वा योऽधिकः स एव प्रश्नः” इस नियम के अनुसार यह प्रश्न अनभिहत हुआ; क्योंकि सबसे अधिक वर्ण अनभिहत प्रश्न के हैं । अथवा सुविधा के लिए प्रथम वर्ण जिस प्रश्न का जिस संज्ञक हो उस प्रश्न को उसी संज्ञक मान लेना चाहिए, किन्तु वास्तविक फल जानने के लिए प्रश्न वाक्य में सबसे अधिक प्रश्नाक्षर जिस संज्ञक प्रश्न के हों, उसे उसी संज्ञक प्रश्न समझना चाहिए । प्रश्नश्रेणी के सभी वर्ण चतुर्थ वर्ग और प्रथम वर्ग के हों अथवा पञ्चम वर्ग और द्वितीत वर्ग के हों तो अभिघातित प्रश्न होता है । इस प्रश्न का फल अत्यन्त
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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