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________________ 346 भद्र बाहुसंहिता वाली होती है । नेताओं में मतभेद, फूट और कलह रहने से जनसाधारण को भी कष्ट होता है । बांग्लादेश के लिए वृष का मंगल अनिष्टप्रद होता है। खाद्यान्न का अभाव होने के साथ भयंकर बीमारियाँ भी उत्पन्न होती हैं । मिथुन राशि में मंगल के स्थित होने से अच्छी वर्षा होती है। देश के सभी राज्यों और प्रदेशों में सुभिक्ष, शान्ति, धर्माचरण, न्याय, नीति और सच्चाई का प्रसार होता है। अहिंसा और सत्य का व्यवहार बढ़ने से देश में शान्ति बढ़ती है। सभी प्रकार के अनाज समर्घ रहते हैं। सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा, काँसा, पीतल आदि खनिज धातुओं के व्यापार में साधारण लाभ होता है। पंजाब में फसल बहुत अच्छी उपजती है। फल और तरकारियाँ भी अच्छी उपजती हैं। कर्क राशि में मंगल हो तो भी सुभिक्ष और उत्तम वर्षा होती है। उत्तर प्रदेश में काशी, कन्नौज, मथुरा में उत्तम फसल नहीं होती है, अवशेष स्थानों में उत्तम फसल उपजती है । सिंह राशि में मंगल के रहने से सभी प्रकार के धान्य महंगे होते हैं। वर्षा भी अच्छी नहीं होती। राजस्थान, गुजरात, मध्यभारत में साधारण वर्षा होती है । भाद्रपद मास में वर्षा का योग अत्यल्प रहता है। आश्विन मास वर्षा और फसल के लिए उत्तम माने जाते हैं। सिंह राशि के मंगल में क्रूर कार्य अधिक होते हैं, युद्ध और संघर्ष अधिक होते हैं । राजनीति में परिवर्तन होता है। साधारण जनता को भी कष्ट होता है। आजीविका साधनों में कमी आ जाती है । कन्या राशि के मंगल में खण्डवृष्टि, धान्य सस्ते, थोड़ी वर्षा, देश में उपद्रव, क्रूर कार्यों में प्रवृत्ति, अनीति और अत्याचार का व्यापक रूप से प्रचार होता है । बंगाल और पंजाब में नाना प्रकार के उपद्रव होते हैं। महामारी का प्रकोप आसाम और बंगाल में होता है। उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के लिए कन्या राशि का मंगल अच्छा होता है। तुला राशि के मंगल में किसी बड़े नेता या व्यक्ति की मृत्यु, अस्त्र-शस्त्र की वृद्धि, मार्ग में भय, चोरों का विशेष उपद्रव, अराजकता, धान्य का भाव महंगा, रसों का भाव सस्ता और सोना-चांदी का भाव कुछ महँगा होता है । व्यापारियों को हानि उठानी पड़ती है । वृश्चिक राशि के मंगल में साधारण वर्षा, मध्यम फसल, देश का आर्थिक विकास, ग्रामों में अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप, पहाड़ी प्रदेशों में दुष्काल, नदी के तटवर्ती प्रदेशों में सुभिक्ष, नेताओं में संघटन की भावना, विदेशों से व्यापारिक सम्बन्ध का विकास, राजनीति में उथल-पुथल एवं पूर्वीय देशों में महामारी फैलती है। धनु राशि के मंगल में समयानुकूल यथेष्ट वर्षा, सुभिक्ष, अनाज का भाव सस्ता, दुग्ध-घी आदि पदार्थों की कमी, चीनी-गुड़ आदि मिष्ट पदर्थों की बहुलता एवं दक्षिण के प्रदेशों में उत्पात होता है । मकर राशि के मंगल में धान्य पीड़ा, फसल में अनेक रोगों की उत्पत्ति, मवेशी को कष्ट, चारे का अभाव, व्यापारियों को अल्प लाभ, पश्चिम के व्यापारियों को हानि; गेहूँ, गुड़ और मशाले के मूल्य
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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