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________________ षोडशोऽध्यायः 313 अच्छी वर्षा, साधारणतया धान्य की उत्पत्ति, व्यापार में लाभ, कृषक और व्यापारी वर्ग में सन्तोष रहता है। देश का आर्थिक विकास होता है। नयी-नयी योजनाएं बनायी जाती हैं और सभी कार्यरूप में परिणत करायी जाती हैं। मीन राशि में शनि का उदय होना अल्प वर्षा कारक, अल्प धान्य की उत्पत्ति का सूचक एवं चोर, डाकुओं की वृद्धि की सूचना देता है । शनि का कर्क, तुला, मकर और मीन राशि में उदय होना अधिक खराब है । अन्य राशि में शनि के उदय होने से अन्न की उत्पत्ति अच्छी होती है । देश का व्यापार विकसित होता है और देश-वासियों को साधारण कष्ट के सिवा विशेष कष्ट नहीं होता है। रोग-महामारी का प्रसार होता है, जिससे सर्व साधारण को कष्ट होता है। शनि अस्त का विचार -मेष में शनि अस्त हो तो धान्य का भाव तेज, वर्षा साधारण, जनता में असन्तोष, परस्पर फूट, मुकद्दमों की वृद्धि और व्यापार में लाभ होता है। वृष राशि में शनि अस्त हो तो पशुओं को कष्ट, देश के पशधन का विनाश, पशुओं में अनेक प्रकार के रोग, मनुष्यों में संक्रामक रोगों की वृद्धि एवं धान्य की उत्पत्ति साधारण होती है। मिथुन राशि में शनि अस्त हो तो जनता को कष्ट, आपसी विद्वेष, धन-धान्य का विनाश, चैत्र के महीने में महामारी एवं प्रजा में अशान्ति रहती है । कर्क राशि में शनि अस्त हो तो कपास, सूत, गुड़, चांदी, घी अत्यन्त महंगे, वर्षा की कमी, देश में अशान्ति तथा नाना प्रकार के धान्य की महंगाई और कलिंग, बंग, अंग, विदर्भ, विदेह, कामरूप, आसाम आदि प्रदेशों में वर्षा साधारण होती है। कन्या राशि में शनि के अस्त होने से अच्छी वर्षा, मध्यम फसल, अन्न का भाव महँगा, धातु का भाव भी महंगा और चीनीगुड़ की उत्पत्ति मध्यम होती है । तुला राशि में शनि का उदय हो तो अच्छी वर्षा, उत्तम फसल, जनता में सन्तोष और सभी प्रदेशों के व्यक्ति सुखी होते हैं । व्यापक रूप से वर्षा होती है । वृश्चिक राशि में शनि के अस्त होने से अच्छी वर्षा, फसल में रोग, टिड्डी-शलभादि का विशेष प्रकोप, धन की वृद्धि, जनता में साधारणतया शान्ति और सुख होता है । धनु राशि में शनि के अस्त होने से स्त्रीबच्चों को कष्ट, उत्तम वर्षा, उत्तम फसल, उत्तम व्यापार और जनसाधारण में सब प्रकार से शान्ति व्याप्त रहती है। मकर राशि में शनि के अस्त होने से सुख, प्रचण्ड पवन, अच्छी वर्षा, अच्छी फसल, व्यापार में कमी, राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन एवं पशुधन की वृद्धि होती है। कुम्भ राशि में शनि के अस्त होने से शीत प्रकोप, पशुओं की हानि एवं मध्यम फसल होती है । मीन राशि में शनि के उत्पन्न होने से अधर्म का प्रचार, फसल का अभाव एवं प्रजा को कष्ट होता है नक्षत्रानुसार शनिफल-श्रवण, स्वाति, हस्त, आर्द्रा, भरणी और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में शनि स्थित हो तो पृथ्वी पर जल-वृष्टि होती है, सुभिक्ष,
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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