SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 356
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 258 भद्रबाहुसंहिता विभिन्न वर्ण की टूटती हुई मालूम पड़ें तथा सूर्य उदयकाल में कई दिनों तक लगातार काला और रोता हुआ दिखलाई पड़े तो दो महीने उपरान्त महामारी का प्रकोप होता है । बिल्ली तीन बार रोकर चुप हो जाय तथा नगर के भीतर आकर शृगाल-सियार तीन वार रोकर चुप हो जाय तो उस नगर में भयंकर हैजा फैलता है । उल्कापात हरे वर्ण का हो, चद्रमा भी हरे वर्ण का दिखलाई पड़े तो सामूहिक रूप में ज्वर का प्रकोप होता है । यदि सूखे वृक्ष अचानक हरे हो जाएं तो उस नगर में सात महीने के भीतर महामारी फैलती है। चूहों का समूह सेना बना. कर नगर के बाहर जाता हुआ दिखलाई पड़े तो प्लेग का प्रकोप समझना चाहिए। पीपल वृक्ष और वट वृक्ष में असमय में पुष्प फल आवें तो नगर या गांव में पाँच महीनों के भीतर संक्रामक रोग फैलता है, जिससे सभी प्राणियों को कष्ट होता है । गोधा मेढक और मोर रात्रि में भ्रमण करें तथा श्वेत काक एवं गृद्ध घरों में घुस आयें तो उस नगर या गाँव में तीन महीने के भीतर बीमारी फैलती है। काक मैथुन देखने से छः मास में मृत्यु होती है। धन-धान्य नाशसूचक उत्पात-वर्षा ऋतु में लगातार सात दिनों तक जिस प्रदेश में ओले बरसते हैं, उस प्रदेश के धन-धान्य का नाश हो जाता है। रात या दिन उल्लू किसी के घर में प्रविष्ट होकर बोलने लगे तो उस व्यक्ति की सम्पत्ति छ: महीने में विलीन हो जाती है। घर के द्वार पर स्थित वृक्ष रोने लगें तो उस घर की सम्पत्ति विलीन होती है, घर में रोग एवं कष्ट फैलते हैं । अचानक घर की छत के ऊपर स्थित होकर श्वेत काक पाँच बार जोर-जोर से कांव-काव करे, पुनः चुप होकर तीन बार धीरे-धीरे कांव-काव करे तो उस घर की सम्पत्ति एक वर्ष में विलीन हो जाती है । यदि यह घटना नगर के बाहर पश्चिमी द्वार पर घटित हो तो नगर की सम्पत्ति विलीन हो जाती है। नगर के मध्य में किसी व्यन्तर की बाधा या व्यन्तर का दर्शन लगातार कई दिनों तक हो तो भी नगर की श्री विलीन हो जाती है। यदि आकाश से दिन भर धूल बरसती रहे, तेज वायु चले और दिन भयंकर मालूम हो तो उस नगर की सम्पत्ति नष्ट होती है, जिस नगर में यह घटना घटती है । जंगल में गयी हुई गायें मध्याह्न में ही रंभाती हुई लौट आयें और वे अपने बछड़ों को दूध न पिलायें तो सम्पत्ति का विनाश समझना चाहिए। किसी भी नगर में कई दिनों तक संघर्ष होता रहे, वहाँ के निवासियों में मेलमिलाप न हो तो पांच महीनों में समस्त सम्पत्ति का विनाश हो जाता है। वरुण नक्षत्र का केतु दक्षिण में उदय हो तो भी सम्पत्ति का विनाश समझना चाहिए। यदि लगातार तीन दिनों तक प्रातः सन्ध्या काली, मध्याह्न सन्ध्या नीली और सायं सन्ध्या मिश्रित वर्ण की दिखलाई पड़े तो भय, आतंक के साथ द्रव्य विनाश की भी सूचना मिलती है। रात को निरभ्र आकाश में ताराओं का अभाव दिखलाई पड़े या ताराएं टूटती हुई मालूम हों तो रोग और धननाश दोनों फल प्राप्त होते
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy