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________________ प्रस्तावना प्रकार के हाथ वाले व्यक्ति परिश्रमी, अल्प सन्तोषी, मन्दबुद्धि और विशेष भोजन करने वाले होते हैं । जिस हाथ में टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ रहती हैं, देखने में बदसूरत होता है और अंगुलियाँ भद्दी होती हैं, वह हाथ अशुभ माना जाता है । इस हाथ वाला व्यक्ति सर्वदा जीवन में कष्ट उठाता है । जिस व्यक्ति के हाथ का पिछला भाग मांसल, पुष्ट, कछुए की पीठ के समान उन्नत, नसों से रहित और रोम रहित होता है, वह व्यक्ति संसार में पर्याप्त यश, विद्या, धन और भोग को प्राप्त करता है । रूक्ष, सिकुड़ा, कड़ा पृष्ठ भाग अशुभ समझा जाता है । जिस पृष्ठ भाग की नसें दिखलाई दें, केश हों वह जीवन में कष्टों की सूचना देता है । हाथ के पृष्ठ भाग में छ: बातें विचारणीय मानी गयी हैंउन्नत होना, अवनत होना, नसों का दिखलाई पड़ना, नसों का नहीं दिखलाई पड़ना, विस्तीर्ण होना और संकुचित या संकीर्ण होना। हथेली का विचार करते समय कहा गया है कि जिसकी हथेली स्निग्ध, उन्नत, मांसल हो, उभरी हुई नसों से युक्त न हो, वह शुभ मानी जाती है । इस प्रकार की हथेली वाला व्यक्ति जीवन में नाना प्रकार की उन्नतियों को प्राप्त करता है । जिनके हाथ का या पाँव का तलवा मृदु होता है, वे लोग स्थिर कार्य करने वाले होते हैं । कमल के गर्भ के समान सुन्दर वर्ण और अत्यन्त पुकोमल दोनों हाथों का होना उत्तम माना गया है। इस प्रकार के हाथ वाला मनुष्य कठोर से कठोर कार्य करने में समर्थ होता है । जिस मनुष्य के हाथ में प्राकृतिक रूप से विकृति मालूम पड़े तो वह व्यक्ति अपने पदों का अभ्युदय करता है। ऐसे लोगों को वाहन सौख्य भी मिलता है। जिसकी हथेली पीतवर्ण की हो, वह आगमाभ्यासी, श्वेतवर्ण की हथेली वाला दरिद्री तथा काले और नीले वर्ण की हथेली वाला व्यक्ति दुराचारी होता है । जिस व्यक्ति की हथेली सिकुड़ी, पतली और सल पड़ी हुई हो तो वह व्यक्ति मानसिक दुर्बलता वाला, डरपोक, बुद्धिहीन, अन्यायाचरण करने वाला और चंचल स्वभाव वाला होता है। बड़ा और लम्बा करतल भाग महत्त्वाकांक्षी, असफल और नीरस व्यक्ति का होता है । दृढ़ करतल भाग हो तो चंचल तथा योग्य प्रकृति वाला होता है। हथेली का गहरा होना असफलताओं का सूचक है। जिसके नखों का वर्ण तुष-भूसे के समान हो; वे पुरुषार्थहीन, विवर्णनख वाले परमुखापेक्षी, चपटे और फटे नखवाले धनहीन; नीले रंग के नख वाले पाप कार्य में प्रवृत्त, दुराचारी; जिसके नख शिथिल हों वे दरिद्री होते हैं। छोटी अंगुलियों वाले मनुष्य चालाक, साहसी, संकुचित स्वभाव के और मनमाने कार्य करने वाले होते हैं । इस प्रकार के व्यक्ति कवि, लेखक और प्रशासक भी होते हैं । लम्बी अंगुलियों वाले मनुष्य दीर्घसूत्री, प्रमादी और अस्थिर विचार के होते है । लम्बी अंगुलियाँ यदि नुकीली हों तो व्यक्ति महत्त्वाकाँक्षी, परिश्रमी, यशस्वी
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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