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________________ 216 भद्रबाहुसंहिता हो तो कलह या मृत्युतुल्य कष्ट होता है। यदि उल्लू का शब्द तैजस और पवनयुक्त हो तो निश्चयतः यात्रा करने वाले की मृत्यु होती है। यदि उल्लू पहले बायीं ओर शब्द करे, पश्चात् दक्षिण की ओर शब्द करे तो यात्रा में पहले समृद्धि, सुख और शान्ति; पश्चात् कष्ट होता है । इस प्रकार के शकुन में यात्रा करने से कभीकभी मृत्यु तुल्य कष्ट भी भोगना पड़ता है। नीलकण्ठ विचार—यदि यात्रा काल में नीलकण्ठ स्वस्तिक गति में भक्ष्य पदार्थों को ग्रहण कर प्रदक्षिणा करता हुआ दिखलाई पड़े तो सभी प्रकार के मनोरथों की सिद्धि होती है। यदि दक्षिण–दाहिनी ओर नीलकण्ठ गमन समय में दिखलाई पड़े तो विजय, धन, यश और पूर्ण सफलता प्राप्त होती है। यदि नीलकण्ठ काक को पराजय करता हुआ सामने दिखलाई पड़े तो निर्विघ्न यात्रा की सिद्धि करता है। यदि वन मध्य में रुदन करता हुआ नीलकण्ठ सामने आये अथवा भयंकर शब्द करता हुआ या घबड़ाकर शब्द करता हुआ आगे आये तो यात्रा में विघ्न आते हैं। धन चोरी चला जाता है और जिस कार्य की सिद्धि के लिए यात्रा की जाती है वह सफल नहीं होता। यदि यात्राकाल में नीलकण्ठ मयूर के समान शब्द करे तो यशप्राप्ति, धनलाभ, विजय एवं निर्विघ्न यात्रा सिद्ध होती है। गमन करने वाले व्यक्ति के आगे-आगे कुछ दूर तक नीलकण्ठ के दर्शन हों तो यात्रा सफल होती है । धन, विजय और यश प्राप्त होता है । शत्रु भी यात्रा में मित्र बन जाते हैं तथा वे भी सभी तरह की सहायता करते हैं। खंजन विचार-यदि यात्राकाल में खंजन पक्षी हरे पत्र, पुष्प और फल युक्त वृक्ष पर स्थित दिखलाई पड़े तो यात्रा सफल होती है; मित्रों से मिलन, शुभ कार्यों की सिद्धि एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। हाथी, घोड़ा के बंधने के स्थान में, उपवन, घर के समीप, देवमन्दिर, राजमहल आदि के शिखर पर खंजन बैठा हुआ सशब्द दिखलाई पड़े तो यात्रा सफल होती है । दही, दूध, घृत आदि को मुख में लिये हुए खंजन पक्षी दिखलाई पड़े तो नियमतः लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यात्रा में इस प्रकार के शुभ शकुन मिलते हैं, जिनसे चित्त प्रसन्न रहता है तथा बिना किसी प्रकार के कष्ट के यात्रा सिद्ध हो जाती है। सहस्रों व्यक्ति सहायक मिल जाते हैं । छाया सहित, सुन्दर, फल-पुष्प युक्त वृक्ष पर खंजन पक्षी दिखलाई पड़े तो लक्ष्मी की प्राप्ति के साथ विजय, यश और अधिकारों की प्राप्ति होती है। खंजन का दर्शन यात्रा काल में बहुत ही उत्तम माना जाता है। गधा, ऊंट, श्वान की पीठ पर खंजन पक्षी दिखलाई पड़े अथवा अशुचि और गन्दे स्थानों पर बैठा हुआ खंजन दिखलाई पड़े तो यात्रा में बाधाएं आती हैं, धनहानि होती है और पराजय भी होती है। तोता विचार-यदि गमन समय में दाहिनी ओर या सम्मुख तोता दिखलाई पड़े तथा वह मधुर शब्द कर रहा हो, बन्धन मुक्त हो तो यात्रा में सभी प्रकार
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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