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________________ त्रयोदशोऽध्यायः गोहा, जाहा, शूकर, सर्प और खरगोश का शब्द शुभ होता है । निज या पर के मुख से इनका नाम लेना शुभ है, परन्तु इनका शब्द या दर्शन शुभ नहीं है । रीछ और वानर का नाम लेना और सुनना अशुभ है, पर शब्द सुनना शुभ होता है । नदी का तैरना, भयकार्य, गृहप्रवेश और नष्ट वस्तु का देखना साधारण शुभ है । कोयल, छिपकली, पोतकी, शूकरी, रता, पिंगला, छछुन्दरि, सियारिन, कपोत, खंजन, तीतर इत्यादि पक्षी यदि राजा की यात्रा के समय वाम भाग में हों तो शुभ हैं । छिक्कर, पपीहा, श्रीकण्ठ, वानर और रुरुमृग यात्रा समय दक्षिण भाग में हों तो शुभ है । दाहिनी ओर आये हुए मृग और पक्षी यात्रा में शुभ होते हैं । विषम संख्यक मृग अर्थात् तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह, तेरह, पन्द्रह, सत्रह, उन्नीस, इक्कीस आदि संख्या में मृगों का झुण्ड चलते हुए साथ दें तो शुभ है । यात्रा समय बायीं ओर गदहे का शब्द शुभ है । यदि सिर के ऊपर दही की हण्डी रखे हुए कोई ग्वालिन जा रही हो और दही के कण गिरते हुए दिखलाई पड़ें तो यह शकुन यात्रा के लिए अत्यन्त शुभ है । यदि दही की हण्डी काले रंग की हो और वह काले रंग के वस्त्र से आच्छादित हो तो यात्रा में आधी सफलता मिलती है । श्वेत रंग की हण्डी श्वेत वस्त्र से आच्छादित हो तो पूर्ण सफलता प्राप्त होती है । यदि रक्त वस्त्र से आच्छादित हो तो यश प्राप्त होता है, पर यात्रा में कठिनाइयाँ अवश्य सहन करनी पड़ती हैं । पीतवर्ण के वस्त्र से आच्छादित होने पर धन लाभ होता है तथा यात्रा भी सफलतापूर्वक निर्विघ्न हो जाता है। हरे रंग का वस्त्र विजय की सूचना देता है तथा यात्रा करने वाले की मनोकामना सिद्ध होने की ओर संकेत करता है । यदि यात्रा करने के समय कोई व्यक्ति खाली घड़ा लेकर सामने आये और तत्काल भरकर साथ-साथ वापस चले तो यह शकुन यात्रा की सिद्धि के लिए अत्यन्त शुभकारक है । यदि कोई व्यक्ति भरा घड़ा लेकर सामने आये और तत्काल पानी गिराकर खाली घड़ा लेकर चले तो यह शकुन अशुभ है, यात्रा की कठिनाइयों के साथ धनहानि की सूचना देता है । 213 यात्रा समय में काक का विचार-यदि यात्रा के समय काक वाणी बोलता हुआ वाम भाग में गमन करे तो सभी प्रकार के मनोरथों की सिद्धि होती है । यदि काक मार्ग में प्रदक्षिणा करता हुआ बायें हाथ आ जाये तो कार्य की सिद्धि, क्षेम, कुशल तथा मनोरथों की सिद्धि होती है । यदि पीठ पीछे काक मन्द रूप में मधुर शब्द करता हुआ गमन करे अथवा शब्द करता हुआ उसी ओर मार्ग में आगे बढ़े, जिधर यात्रा के लिए जाना है, अथवा शब्द करता हुआ काक आगे हरे वृक्ष की हरी डाली पर स्थित हो और अपने पैर से मस्तक को खुजला रहा हो तो यात्रा में अभीष्ट फल की सिद्धि होती है । यदि गमन काल में काक हाथी के ऊपर बैठा दिखलाई पड़े या हाथी पर बजते हुए बाजों पर बैठा हुआ दिखलाई पड़े तो यात्रा में सफलता मिलती है, साथ ही धनधान्य, सवारी, भूमि आदि का
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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