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________________ प्रस्तावना स्वाति नक्षत्र में उदय को प्राप्त हो तो सिन्धु, गुर्जर, आसाम, महाराष्ट्र और बंगाल में अशान्ति, महामारी एवं आपसी संघर्ष होते हैं । पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी और भरणी इन नक्षत्रों में शुक्र का उदय होने से गुजरात, पंजाब में दुर्भिक्ष तथा बिहार, बंगाल, असम आदि पूर्वी राज्यों में दुभिक्ष होता है। घी और धान्य का भाव समस्त देशों में कुछ महँगा होता है। कृत्तिका, मघा, आश्लेषा, विशाखा, शतभिषा, चित्रा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा और मूल नक्षत्रों में शुक्र का उदय हो तो दक्षिण भारत में सुभिक्ष, पूर्णतया वर्षा तथा उत्तर भारत में वर्षा की कमी रहती है । फसल भी उत्तर भारत में बहुत अच्छी नहीं होती । आश्लेषा, भरणी, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद और उत्तरा भाद्रपद इन नक्षत्रों में शुक्र का उदय होना समस्त भारत के लिए अशुभ कहा गया है। चीन, अमेरिका, जापान और रूस में भी अशान्ति रहती है। मेष राशि में शनि का उदय हो तो जलवृष्टि, सुख, शान्ति, धार्मिक विचार, उत्तम फसल और परस्पर सहानुभूति की उत्पत्ति होती है। वृष राशि में शनि का उदय होने से तृणकाष्ठ का अभाव, घोड़ों में रोग, साधारण वर्षा और सामान्यतः पशु-रोगों की वृद्धि होती है । मिथुन राशि में शनि का उदय हो तो प्रचुर परिमाण में वर्षा, उत्तम फसल और सभी पदार्थ सस्ते होते हैं। कर्क राशि में शनि का उदय होने से वर्षा का अभाव, रसों की उत्पत्ति में कमी, वनों का अभाव और खाद्य वस्तुओं के भाव महँगे होते हैं । सिंह राशि में शनि का उदय होना अशुभकारक होता है । कन्या में शनि का उदय होने से धान्यनाश, अल्पवर्षा, व्यापार में लाभ और आभिजात्य वर्ग के व्यक्तियों को कष्ट होता है । तुला और वृश्चिक राशि में शनि का उदय हो तो महावृष्टि, धन का विनाश, बाढ़ का भय और गेहूं की फसल कम होती है । धनु राशि में शनि का उदय हो तो नाना प्रकार की बीमारियाँ देश में फैलती हैं। मकर में शनि का उदय हो तो प्रशासकों में संघर्ष, राजनीतिक उलट-फेर एवं लोहा महँगा होता है। कुम्भ राशि में शनि का उदय हो तो अच्छी वर्षा, अच्छी फसल और व्यापारियों को लाभ होता है। मीन राशि में शनि का उदय होना अल्प वर्षाकारक, नाना प्रकार के उपद्रवों का सूचक तथा फसल की कमी का सूचक है। ___मेष राशि में गुरु का उदय होने से दुर्भिक्ष, मरण, संकट और आकस्मिक दुर्घटनाएं उत्पन्न होती हैं । वृष में उदय होने से सुभिक्ष होता है। मिथुन में उदय होने से वेश्याओं को कष्ट; कलाकार और व्यापारियों को भी कष्ट होता है । कर्क में गुरु के उदय होने से यथेष्ट वर्षा; कन्या में उदय होने से साधारण वर्षा; तुला में गरु के उदय होने से विलास के पदार्थ महंगे; वृश्चिक में उदय होने से दुर्भिक्ष; धनु-मकर में उदय होने से उत्तम वर्षा, व्याधियों का बाहुल्य; कुम्भ में उदय होने से अतिवृष्टि, अन्न का भाव महंगा और मीन में गुरु का उदय होने से अशान्ति
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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