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________________ 26 भद्रबाहुसंहिता अवगत करना भौम निमित्त कहलाता है । इस निमित्त से गृह-निर्माण योग्य भूमि, देवालय-निर्माण योग्य भूमि, जलाशय-निर्माण योग्य भूमि आदि बातों की जानकारी प्राप्त की जाती है। भूमि के रूप, रस, गन्ध और स्पर्श द्वारा उसके शुभाशुभत्व को जाना जाता है। भूमि के नीचे के जल का विचार करते समय बताया गया है कि जिस स्थान की मिट्टी पाण्डु और पीत वर्ण की हो तथा उसमें से शहद जैसी गन्ध निकलती हो तो वहां जल निकलता है अर्थात् सवा तीन पुरुष प्रमाण नीचे खोदने से जल का स्रोत मिल जाता है । नीलकमल के रंग की मिट्टी हो तो उसके नीचे खारा जल समझना चाहिए । कपोत वर्ण के समान मृत्तिका होने से भी खारे जल का स्रोत मिलता है। पीत वर्ण की मृत्तिका से दूध के समान गन्ध निकले तो निश्चयतः मीठे जल का स्रोत समझना चाहिए। परन्तु यहाँ इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है कि मिट्टी चिकनी होनी चाहिए; रूक्ष वर्ण की मिट्टी होने से जल का अभाव या अल्प जल निकलता है। धूम्र वर्ण की मिट्टी रहने से भी उसके नीचे जल का स्रोत रहता है। घर बनाने के लिए श्वेत, रक्त, पीत और कृष्ण वर्ण की भूमि, जिसमें से घी, रक्त, अन्न और मद्य के समान गन्ध निकलती हो, शुभ होती है। मधुर, कषायली, आम्ल और कटु रसवाली भूमि घर बनाने के लिए शुभ होती है। दुर्गन्ध युक्त भूमि में घर बनाने से अनिष्ट होता है, शत्रुभय, धन विनाश एवं नाना प्रकार के संक्लेश होते हैं। मंजीठे के समान रक्त वर्ण की भूमि अशुभ है । मूंग के समान हरित वर्ण की भूमि में भी घर बनाना अशुभ होता है । जिस स्थान की मृत्तिका से पुष्प के समान गन्ध निकले या धूप के समान गन्ध आती हो और श्वेत या पीत वर्ण की मृत्तिका हो, उस स्थान पर घर बनवाना शुभ होता है । अग्नि के समान लालवर्ण की भूमि में घर बनवाना निषिद्ध है। यदि इस भूमि का स्पर्श छत के समान चिकना हो और महुवे के समान गन्ध निकलती हो तो यह भूमि भी घर बनाने के लिए शुभ होती है । मटमैले वर्ण की भूमि से यदि मुर्दे जैसी गन्ध आये तो कभी भी उस भूमि में घर नहीं बनवाना चाहिए । वर्ण की दृष्टि से श्वेत और पीत वर्ण की भूमि तथा गन्ध की दृष्टि से मधु, घृत, दुग्ध और भात की गन्ध वाली भूनि तथा घृत, दही और शहद के समान स्पर्श वाली भूमि घर बनाने के लिए शुभ मानी जाती है। किस प्रकार की भूमि के नीचे कौन-कौन पदार्थ हैं यह भी भूमि के गणित से निकाला जाता है। किसी भी मकान में कहां अस्थि है और कहां पर धन-धान्यादि हैं, इसकी जानकारी भी भूमि गणित के अनुसार की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के विषयों में ऐसे कई प्रकार के गणित हैं जो भूमि के नीचे की वस्तुओं पर प्रकाश डालते हैं। बताया गया है कि जिस स्थान की मिट्टी हाथी के मद के समान गन्ध वाली हो, या
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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