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________________ 24 भद्रबाहुसंहिता और सन्तान से युक्त होती हैं । इस प्रकार की नारियां जीवन में सुख का ही अनुभव करती हैं, इन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाई प्राप्त नहीं होती । ठोड़ी की आकृति सीधी, टेढ़ी, उठी, नुकीली, चौकोर, लम्बी, छोटी, चपटी, गहरी, गठी, फूली और मोटी इस प्रकार बारह तरह की बतलायी गयी है । मस्तक, नाक और आँख आदि के सुन्दर होने पर भी ठोड़ी की भद्दी आकृति होने से नर या नारी दोनों को जीवन में कष्ट उठाने पड़ते हैं । भद्दी आकृतिवाला व्यक्ति शूरवीर होता है । नारी भयंकर आकृति की कोई भीहो तो वह भी पुरुष के कार्यों को बड़ी तत्परता से करती है। ____ अंगनिमित्त शास्त्र में शरीर के समस्त अंगों की बनावट, रूप-रंग तथा उनके स्पर्श का भी विवेचन किया गया है । बताया गया है कि जिस पुरुष या नारी के पैर भद्दे और मोटे होते हैं, उसे मजदूरी सदा करनी पड़ती है। इस प्रकार के पैर वाला व्यक्ति सदा शासित रहता है। जिसका ललाट विस्तृत हो, पैर पतले और सुन्दर हों, हाथ की हथेली लाल हो, चेहरा गोल हो, वक्षस्थल चौड़ा हो और नेत्र गोल हों, वह व्यक्ति स्त्री या पुरुष हो, शासक का काम करता है । आर्थिक अभाव उसे जीवन में कभी भी कष्ट नहीं दे सकता है । स्वरनिमित्त-चेतन प्राणियों के और अचेतन वस्तुओं के शब्द सुनकर शुभाशुभ का निरूपण करना स्वरनिमित्त कहलाता है । पोदकी का 'चिलिचिलि' इस प्रकार का शब्द सुनाई पड़े तो लाभ की सूचना समझनी चाहिए । 'चिकुचिकु' इस प्रकार का शब्द सुनाई पड़े तो बुलाने के लिए सूचना समझनी चाहिए। पोदकी का 'कीतुकीतु' शब्द कामनासिद्धि का सूचक, 'चिरिचिरि' शब्द कष्टसूचक और 'चच' शब्द विनाश का सूचक होता है। ____ इस निमित्त में काक, उल्लू, बिल्ली, कुत्ता आदि के शब्दों का विशेष रूप से विचार किया जाता है । कौवे का कठोर शब्द कष्टदायक और मधुर शब्द शुभ देने वाला होता है। दीप्त दिशा में स्थित होकर कठोर शब्द करे तो कार्य का विनाश होता है। रात्रि में दीप्त दिशा में मुख कर शान्त शब्द करे तो कार्य-सिद्धि का सूचक, सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में सुन्दर स्थान में बैठकर काक मधुर शब्द करे तो वैरी का नाश, चिन्तित कार्यसिद्धि एवं स्त्री-रत्नलाभ होता है। प्रभातकाल में काक अग्निकोण में सुन्दर देश में स्थित हो शब्द करता है, तो विजय, धनलाभ, स्त्री-रत्न की प्राप्ति; दक्षिण में शब्द करे तो अत्यन्त कष्ट; इसी दिशा में स्थित काक कठोर शब्द करे तो रोगी की मृत्यु; मधुर शब्द करे. तो इष्ट जन समागम, धन-प्राप्ति, अनेक के सम्मान; प्रभातकाल में पश्चिम दिशा में शब्द करे तो निश्चय वर्षा, सुन्दर वस्तुओं की प्राप्ति, किसी उत्तम राजकर्मचारी का समागम; वायव्य कोण में काक बोले तो अन्न-वस्त्र की प्राप्ति, प्रियव्यक्ति का आगमन; उत्तर दिशा में शब्द करे तो अतिकष्ट, सर्पभय, दरिद्रता; ईशान दिशा
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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