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________________ एकादशोऽध्यायः 159 उत्तर की तीन नाड़ियों में स्थित हों तो कुछ वर्षा कर देते हैं । जलनाड़ी में स्थित चन्द्र और शुक्र यदि क्रूर ग्रहों से युक्त हो जायें तो वे इस क्रूर योग से अल्पवृष्टि करते हैं । जलनाड़ी में स्थित हुए बुध, शुक्र और बृहस्पति ये चन्द्रमा से युक्त होने पर उत्तम वर्षा करते हैं । जलनाड़ी में चन्द्रमा और मंगल आरूढ हों तो वे चन्द्रमा से समागम होने पर अच्छी वर्षा करते हैं । जलनाड़ी में चन्द्रमा और मंगल शनि द्वारा दृष्ट हों तो वर्षा की कमी होती है । गमनकाल, संयोगकाल, वक्रगतिकाल, मार्गगति काल, अस्त या उदयकाल में इन सभी दशाओं में जलनाड़ी में प्राप्त हुए सभी ग्रह महावृष्टि करने वाले होते हैं । अक्षर क्रमानुसार ग्रामनक्षत्र निकालने का नियम-चू चे चो ला==अश्विनी, ली लू ले लो=भरणी, अ ई उ ए = कृतिका, ओ वा वी वू = रोहिणी, वे वो का की= मृगशिर, कु घ ङ छ=आर्द्रा, के को हा ही-पुनर्वसु, हु हे हो डा=पुष्य, डी डू डे डो=आश्लेषा, मा मी मू मे=मघा, मो टा टी टू =पूर्वाफाल्गुनी, टे टो पा पी= उत्तराफाल्गुनी, पू ष ण ठ हस्त, पे पो रा री=चित्रा, रू रे रो ता= स्वाती, ती तू ते तो विशाखा, ना नी नू ने =अनुराधा, नो या यी यू =ज्येष्ठा, ये यो भा भी=मूल, भू धा फा ढा=पूर्वाषाढ़ा, भे भो जा जी= उत्तराषाढ़ा, खी खू खे खो=श्रवण, गा गी गू गे=धनिष्ठा, गो सा सी सू= शतभिषा, से सो दा दी=पूर्वाभाद्रपद, दू थ झ ञ=उत्तराभाद्रपद, दे दो चा ची रेवती। ___ वर्षा के सम्बन्ध में एक आवश्यक बात यह भी जान लेनी चाहिए कि भारत में तीन प्रकार के प्राकृतिक प्रदेश हैं-अनप, जोगल और मिश्र। जिस प्रदेश में अधिक वर्षा होती है, वह अनूप; कम वर्षा वाला जोगल और अल्प जल वाला मिश्र कहलाता है । मारवाड़ में मामूली भी अशुभ योग वर्षा को नष्ट कर देता है और अनूप देश में प्रबल अशुभ योग भी अल्प वर्षा कर ही देता है। जिस ग्रह के जो प्रदेश बतलाये गये हैं, वह ग्रह अपने ही प्रदेशों में वर्षा का अभाव या सद्भाव करता है। ग्रहों के प्रदेश-सूर्य के प्रदेश-द्रविड़ देश का पूर्वार्द्ध, नर्मदा और सोन नदी का पूर्वार्द्ध, यमुना के दक्षिण का भाग, इक्षुमती नदी, श्री शैल और विन्ध्याचल के देश, चम्प, मुण्डू, चेदीदेश, कौशाम्बी, मगध, औण्ड सुङम, बंग, कलिंग, प्राग्ज्योतिष, शवर, किरात, मेकल, चीन, बाह्नीक, यवन, काम्बोज और शक हैं। चन्द्रमा के प्रदेश-दुर्ग, आर्द्र, द्वीप, समुद्र, जलाशय, तुषार, रोम, स्त्रीराज, मरुकच्छ और कोशल हैं। ___ मंगल के प्रदेश-नासिक, दण्डक, अश्मक, केरल, कुन्तल, कौंकण, आन्ध्र, कान्ति, उत्तर पाण्ड्य, द्रविड, नर्मदा, सोन नदी और भीमरथी का पश्चिम अर्ध भाग, निर्विन्ध्या, क्षिप्रा, वेत्रवती, वेणा, गोदावरी, मन्दाकिनी, तापी, महानदी,
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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