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________________ 140 भद्रबाहुसंहिता उत्तम समय मध्य रात्रि का है। इस समय रवि आर्द्रा में प्रवेश करता है तो अच्छी वर्षा और धान्य की उत्पत्ति उत्तम होती है। जब सूर्य का आर्द्रा में प्रवेश हो उस समय चन्द्रमा केन्द्र या त्रिकोण में प्रवेश करे अथवा चन्द्रमा की दृष्टि हो तो पृथ्वी धान्य से परिपूर्ण हो जाती है। जिस ग्रह के साथ सूर्य का इत्थशाल सम्बन्ध हो, उसके अनुसार भी फलादेश घटित होता है। मंगल, चन्द्रमा और शनि के साथ यदि सूर्य इत्थशाल कर रहा हो तो उस वर्ष घोर दुर्भिक्ष तथा अतिवष्टि या अनावृष्टि का योग समझना चाहिए। गुरु के साथ यदि सूर्य का इत्थशाल हो तो यथेष्ट वर्षा, सुभिक्ष और जनता में शान्ति रहती है। व्यापार के लिए भी यह योग उत्तम है। देश का आर्थिक विकास होता है । बुध के साथ सूर्य का इत्थशाल हो तो पशुओं के व्यापार में विशेष लाभ, समयानुकूल वर्षा, धान्य की वृद्धि और सुख-शान्ति रहती है । शुक्र के साथ इत्थशाल होने पर चातुर्मास में कुल तीस दिन वर्षा होती है। प्रश्नलग्नानुसार वर्षा का विचार-यदि प्रश्नलग्न के समय चौथे स्थान में राहु और शनि हों तो उस वर्ष घोर दुर्भिक्ष होता है तथा वर्षा का अभाव रहता है। यदि चौथे स्थान में मंगल हो तो उस वर्ष वर्षा साधारण ही होती है और फसल भी उत्तम नहीं होती। चौथे स्थान में गुरु और शुक्र के रहने से वर्षा उत्तम होती है । चन्द्रमा चौथे स्थान में हो तो श्रावण और भाद्रपद में अच्छी वर्षा होती है; किन्तु कात्तिक में वर्षा का अभाव और आश्विन में कुल सात दिन वर्षा होती है। हवा बहुत तेज चलती है, जिससे फसल भी अच्छी नहीं हो पाती । यदि प्रश्नलग्न में गुरु हो और एक या दो ग्रह उच्च के चतुर्थ, सप्तम, दशम भाव में स्थित हों तो वर्ष बहुत ही उत्तम होता है । समयानुसार यथेष्ट वर्षा होती है, गेहूं, चना, धान, जौ, तिलहन, गन्ना आदि की फसल बहुत अच्छी होती है। जूट का भाव ऊपर उठता है तथा इसकी फसल भी बहुत अच्छी रहती है। व्यापारियों के लिए वर्ष बहुत ही अच्छा रहता है । यदि प्रश्गलग्न में कन्या राशि हो तो अच्छी वर्षा, पूर्वीय हवा के साथ होती है । वर्ष में कुल 90 दिन वर्षा होती है, फसल भी अच्छी होती है। मनुष्य और पशुओं को सुख-शान्ति मिलती है । केन्द्र स्थानों में शुभ ग्रह हों तो सुभिक्ष और वर्षा होती है जिस दिशा में क्रूर ग्रह हों अथवा शनि देखें तो उस दिशा में अवश्य दुर्भिक्ष होता है । यदि वर्षा के सम्बन्ध में प्रश्न करने वाला पांचों अंगुलियों को स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो अल्प वर्षा, फसल की क्षति एवं अंगूठे का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा होती है। यदि वर्षा के प्रश्न काल में पृच्छक सिर का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो आश्विन में वर्षा भाव तथा अन्य महीनों में साधारण वर्षा; कान का स्पर्श करता हुआ प्रश्न करे तो साधारण वर्षा, पर भाद्रपद में कुल दस दिन की वर्षा; आँखों को मलता हुआ प्रश्न करे तो चातुर्मास के सिवा अन्य महीनों में वर्षा का
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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