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________________ 84 भद्रबाहुसंहिता और पशु सभी प्राणी कष्ट पाते हैं। आश्विन मास में अनेक प्रकार की बीमारियां भी व्याप्त होती हैं । आषाढ़ कृष्ण अप्टमी को प्रातःकाल सूर्योदय ही न हो अर्थात् सूर्य मेघाच्छन्न हो और मध्याह्न में तेज धूप हो तो श्रावण मास में वर्षा की सूचना समझनी चाहिए । भरणी नक्षत्र हो तो इसका फलादेश अत्यन्त अनिष्टकर होता है । फसल में अनेक प्रकार के रोग लग जाते हैं तथा व्यापार में भी हानि होती है। आषाढ़ कृष्णा नवमी को पर्वताकार बादल दिखलाई पड़े तो शुभ, ध्वजा-घण्टापताका के आकार में बादल दिखलाई पड़े तो प्रचुर वर्षा और व्यापार में लाभ होता है। यदि इस दिन बादलों की आकृति मांसभक्षी पशुओं के समान हो तो राष्ट्र के लिए भय होता है तथा आन्तरिक गृह-कलह के साथ अन्य शत्रु-राष्ट्रों की ओर से भी भय होता है । यदि तलवार, त्रिशूल, भाला, बर्ची आदि अस्त्रों के रूप में बादलों की आकृति उक्त तिथि को दिखलाई पड़े तो युद्ध की सूचना समझनी चाहिए। यदि आषाढ़ कृष्ण दशमी को उखड़े हुए वृक्ष की आकृति के समान बादल दिखलाई पड़े तो वर्षा का अभाव तथा राष्ट्र में नाना प्रकार के उपद्रवों की सूचना समझनी चाहिए। आपाढ़ कृष्ण एकादशी को रुधिर वर्ण के बादल आकाश में आच्छादित हों तो आगामी वर्ष प्रजा को अनेक प्रकार का कष्ट होता है तथा खाद्य पदार्थों की कमी होती है। आषाढ़ कृष्ण द्वादशी और त्रयोदशी को पूर्व दिशा की ओर से बादलों का एकत्र होना दिखलाई पड़े तो फसल की क्षति तथा वर्षा का अभाव और चर्तुदशी को गर्जन-तर्जन के साथ बादल आकाश में व्याप्त हुए दिखलाई पड़ें तो श्रावण में सूखा पड़ता है । अमावस्या को वर्षा होना शुभ है और धूप पड़ना अनिष्टकारक है। शुक्ला प्रतिपदा को मेघों का एकत्र होना शुभ, वर्षा होना सामान्य और धूप पड़ना अनिष्टकारक है । शुक्ला द्वितीया और तृतीया को पूर्व में मेघों का एकत्रित होना शुभसूचक है । सप्तमोऽध्यायः अथातः सम्प्रक्ष्यामि सन्ध्यानां लक्षणं ततः । प्रशस्तमप्रशस्तं च यथातत्त्वं निबोधत ॥1॥ 1. त्विह मु० C.
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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