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________________ षष्ठोऽध्यायः 75 यदा राज्ञः प्रयाणे तु यान्यभ्राणि शभानि च । अनुमार्गाणि स्निग्धानि तदा राज्ञो जयं वदेत् ॥9॥ राजा के प्रयाण के समय यदि शुभ रूप बादल हों और वे राजा के मार्ग के साथ-साथ गमन करें, स्निग्ध हों तो उस यात्रा में राजा की विजय होती है ।।9।। रथायुधानामश्वानां हस्तिनां सदृशानि च । यान्यग्रतो प्रधावन्ति: जयमाख्यान्त्युपस्थितम् ॥10॥ रथ- गाड़ी, मोटर तथा आयुध-तलवार, बन्दूक और हाथी आदि प्राणियों के सदृश बादल राजा के आगे-आगे गमन करें तो वे उसकी जय की सूचना देते हैं॥10॥ ध्वजानां च पताकानां घण्टानां तोरणस्य च । सदृशान्यग्रतो यान्ति जयमाख्यान्त्युपस्थितम् ॥11॥ ध्वजा, पताका, घण्टा, तोरण इत्यादि की आकृति वाले बादल राजा के प्रयाण समय आगे-आगे चलें तो उनसे राजा की विजय सूचित होती है ॥11॥ शुक्लानि स्निग्धवर्णानि पुरत: पृष्ठतोऽपि वा। अभ्राणि दीप्तरूपाणि जयमाख्यान्त्युपस्थितम् ॥12॥ श्वेत और चिकने बादल राजा के आगे अथवा पीछे चमकते हुए गमन करें तो विजयलक्ष्मी उसके सामने उपस्थित रहती है --युद्ध में उसे विजय मिलती है॥12॥ चतुष्पदानां पक्षिणां व्यादानां च दंष्ट्रिणाम् । सदृशप्रतिलोमानि बधमाख्यानान्त्युपस्थितम् ॥13॥ चौपायों - भैंसा, शूकर, गधा आदि पशुओं और मांसभक्षी क्रूर पक्षियोंगीध, काक, बगुला, बाज, तीतर आदि पक्षियों एवं दाँत वाले सिंहादि हिंसक प्राणियों के आकार वाले बादल राजा के युद्धार्थ गमन करते समय प्रतिलोम गति -अपसव्य मार्ग से गमन करते हुए दिखाई दें तो राजा का घात अथवा पराजय होती है ।।13।। ___1. भवेत् म० C.। 2. स्वायुधानाम्, मु०; यदायुधानाम्, मु० C.। 3. अभिधावन्ति मु. C.। 4. पुरस्तात् मु० । 5. अभ्राणां मु• B. I
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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