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________________ पंचमोऽध्यायः करे तो वहाँ पर भयंकर वायु चलती है ॥19॥ विद्युतं तु यथा विद्युत् ताडयेत् प्रविशेद् यदा । अन्योऽन्यं वा लिखेयातां वर्षं विन्द्यात् तदा शुभम् ॥20॥ बिजली बिजली से ताडित होकर एक-दूसरे में प्रवेश करती हुई दिखलाई दे तो शुभ जानना चाहिए - वर्षा यथोचित रूप में होती है ॥20॥ राहुणा संवृतं चन्द्रमादित्यं चापि सर्वतः । कुर्यात् विद्युत् यदा साभ्रा तदा सस्यं न रोहति ॥21॥ 67 राहु द्वारा चन्द्रमा और केतु द्वारा सूर्य अपसव्य मार्ग से ग्रहण किया गया हो और ये बादल से आच्छादित हों और उस समय उनसे बिजली निकले तो धान्य नहीं उगते ||21| नीला ताम्रा च गौरा' च श्वेता 'चाऽभ्रान्तरं चरेत् । सघोषा मन्दघोषा वा विन्द्यादुदक संप्लवम् ॥22॥ नील, ताम्र, गौर और श्वेत बादलों से बिजली का संचार हो और वह भारी अथवा थोड़ी गर्जना युक्त हो तो अच्छी वर्षा होती है ॥22॥ मध्यमे मध्यमं वर्ष अधमे अधमं दिशेत् । उत्तमं चोत्तमे मार्गे चरन्तीनां च विद्युताम् ॥23॥ आकाश के मध्यमार्ग से गमन करनेवाली बिजली मध्यम वर्षा, जघन्य मार्ग से गमन करनेवाली जघन्य वर्षा और उत्तम मार्ग से गमन करनेवाली उत्तम वर्षा की सूचिका है ॥23॥ वीथ्यन्तरेषु या विद्युच्च रतामफलं ' विदुः । अभीक्ष्णं दर्शयेच्चापि तत्र दूरगतं फलम् ॥24॥ यदि बिजली वीथी -- चन्द्रादि के मार्ग के अन्तराल में संचार करे तो उसका कोई फल नहीं होता । यदि बार-बार दिखलाई पड़े तो उसका फल कुछ दूर जाकर होता है ॥24।। उल्कावत् साधनं ज्ञेयं विद्युतामपि तत्त्वतः । अथाभ्राणां 'प्रवक्ष्यामि 'लक्षणं तन्निबोधत ॥25॥ 1. विद्युद्विद्युद्यदा भूत्या आ० । 2. ची मु० A. 13. सव्यते, मु0 A. सेव्यत: मु० B. I 4. गौरी मु० । 5. वा, मु० । 6. वामफलं, मु० A, त्वां फलं मु० B. । सफलं मु० C. 7. संप्रवक्ष्यामि, मु० C. । 8. लक्षणानि मु० C.
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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